Sunday, 23 October 2022

मैं जमशेदपुर हूं

कविता

*मैं जमशेदपुर हूं*

नसरवान जी का शहर हूं मैं
मैं हूं प्राचीन कालीमाटी,
मैं हूं टाटा नगर,
मैं हूं स्टील सिटी,
मैं जमशेदपुर हूं।

मैं देश की सड़कों पर ट्रक दौड़ाता हूं,
मैं छतों पर ब्लुस्कोप की शीट लगाता हूं,
मैं मजदूरों और किसानों के लिए एग्रिको में
कुदाल फावड़ा और खुरपी बनाता हूं,
मैं लोहा भी बनाता हूं।

लफार्ज सीमेंट हूं मैं, लाल पीला पिगमेंट हूं मैं,
मैं जैमिपोल, मैं टीआरएएफ, मैं टायो,
टिनप्लेट में टिन मैं ही बनाता हूं,
विदेशों में टीमकेन की बेयरिंग
मैं ही पहुँचाता हूं।

जुस्को की निर्बाध बिजली,
हरियाली और शुद्ध पानी,
सड़कों को नित्य चमकाता हूं,
स्वच्छता सर्वेक्षण में श्रेष्ठ शहर का
अवॉर्ड यूं ही नहीं पाता हूं।

नसरवान जी का शहर हूं मैं
मैं जमशेदपुर हूं।

मैं शहर हूं मजदूरों का,
मैं नेताजी सुभाष का शहर हूं,
मैं शहर अब्दुल बारी का ,
मैं शहर व्ही. जी. गोपाल का,
मैं शहर माईकल जॉन का,
राकेश्वर, रघुनाथ और टुन्नू लाल का।

मैं शहर हूं शिक्षाविद् पद्मश्री दिगंबर हांसदा का ,
महिलाओं की प्रेरक बछेंद्री पाल हूं मैं ,
महिलाओं की हिम्मत प्रेमलता हूं मैं,
तीरंदाज दीपिका हूं, मैं कोमलिका बारी हूं,
द्रोणाचार्य अवार्डी पूर्णिमा महतो मैं ही हूं।

ध्यानचंद अवार्डी एथलीट सतीश पिल्लई हूं,
बॉक्सिंग की रिंग में मैं अरुणा मिश्रा हूं,
क्रिकेट के मैदान में मैं सौरभ तिवारी हूं,
वरुण एरॉन हूं, मैं विराट सिंह हूं,
नसरवान जी का शहर हूं मैं
मैं जमशेदपुर हूं ।

मैं शुक्ल महंती हूं , मैं चंद्र मुदिता हूं ,
मैं रजनी शेखर , मैं डॉ. जकारिया हूं ,
मैं सुखदेव महतो यूनिवर्सिटी बनाता हूं,
मैं एपीआर नायर स्कूलों का जाल फैलाता हूं ,
अंग्रेजी में मैं चलिल हूं , हिंदी में मैं सलिल हूं।

साहित्य में मैं युवा ज्ञानपीठ जयनंदन हूं,
मैं सी भास्कर जैसा शीतल चंदन हूं,
मैं साहित्य का आभूषण रागिनी हूं ,
मैं साहित्य को समर्पित पुष्प जूही हूं ,
मैं अंशुमन भगत, मैं ही सिंहा तुहिन हूं।

मैं आदिवासियों की गाथा गाता हूं,
मैं जनजातीय गौरव बढ़ाता हूं
मैं कॉन्क्लेव संवाद आयोजित कराता हूं,
मैं ही संदीप मुरारका हूं,
पुस्तक शिखर को छूते ट्राइबल्स लिख जाता हूं।

मैं डॉ राकेश मिश्रा वर्धा विश्वविद्यालय में पढ़ाता हूं,
मैं एमजीएम में डॉक्टर्स बनाता हूं,
मैं एक्सएलआरआई, सीईओ बनाता हूं,
मैं लीना नायर, मैं विनीत नय्यर, मैं संदीप सेन,
मैं विमलेंद्र झा, मैं कृष्ण कुमार नटराजन हूं।

मैं शहर हूँ उनका ,
जिनको रायसीना की पहाड़ी पर बुलाया जाता है ,
जिनके सीनों को पद्म सम्मान से सजाया जाता है ,
मैं शहर हूं दोराबजी का, मैं रुसी मोदी का शहर हूं ,
मैं पद्मभूषण एन चंद्रशेखरन का भी शहर हूं। 

मैं पद्म विभूषण रतन टाटा का अभिमान हूं ,
मैं भारत रत्न जेआरडी के सपनों की उड़ान हूं,
मैं हूं शहर पद्म भूषण जे. जे. ईरानी का ,
मैं पी एन बोस की मूर्ती को पूजवाता हूं,
मैं साइरस के प्रति भी श्रद्धा सुमन प्रकट करवाता हूं।

मैं शहर हूं पद्म भूषण बी मुत्थुरमण का ,
मैं शहर हूं पद्म भूषण होमी भाभा का ,
मैं शहर हूं पद्म भूषण नवल टाटा का ,
मैं ऋणी हूं उस वीर मेहरबाई के नाम,
जिनकी याद में बना कैंसर पीड़ितों का धाम।

नसरवान जी का शहर हूं मैं
मैं जमशेदपुर हूं।

स्वर्णरेखा खरकाई ने सींचा मुझको ,
सख्त हूं मैं दलमा सा, शांत मैं डीमना सा,
पुष्पों से सजा हुआ मैं जुबली पार्क हूं ,
भुवनेश्वरी मंदिर में बैठी मां मेरी ,
हृदय में बैठे प्रभु अयप्पा और श्री राम हैं। 

गोल्फ खेलता हूं गोलमुरी क्लब में,
गोपाल मैदान में बैटिंग करता हूं ,
मोहन आहूजा में बैडमिंटन खेलता,
जेआरडी में फुटबॉल पे किक लगाता हूं,
करनडीह में मुर्गे भी खूब लड़ाता हूं।

कॉइन शो में इतिहास बताता हूं ,
फ्लावर शो से हवा को मह्काता हूं,
डॉग शो में वफादारी का पाठ पढ़ाता हूं,
संवाद मेले में जनजातीय सभ्यता से हो रुबरु,
शहर और गांव की दूरी को मिटाता हूं।

संसद के गलियारों में मैं खूब जाना जाता हूं,
बनकर गोपेश्वर मजदूरों की बात उठाता हूं ,
कभी शैलेंद्र -आभा, कभी सुनील - सुमन,
पति पत्नी दोनों को दिल्ली की गलियां घुमा लाता हूं ,
कभी अर्जुन बनकर खूब तीर चलाता हूं।

कृष्ण बने नीतीश ने भी ढूंढी राह यहीं ,
पानी सींचते बादलों में यहां विद्युत चमक रही,
मैं रघुवर हूं , मुख्यमंत्री बनकर राज्य चलाता हूं,
मैं बन्ना हूं , गरीब वंचितों की आवाज बन जाता हूं,
राज्य - नीति मुझको स्वीकार है, राज- नीति की यहां हार है।


नसरवान जी का शहर हूं मैं
मैं जमशेदपुर हूं ।

युवाओं के मिर्जापुर वाली बीना त्रिपाठी मैं ही तो हूं ,
सोनचिड़ियां का अवॉर्ड विनर लेखक अभिषेक चौबे हूं मैं ,
हां मैं आर माधवन हूं , मैं इम्तियाज अली हूं ,
प्रिंयका चोपड़ा, दत्ता तनुश्री और इशिता मुझको हंसाती हैं ,
वहीं प्रत्युषा बनर्जी की मौत मुझे बहुत रुलाती है।

डांस दीवाने कलर्स का विनर विशाल सोनकर मैं ही तो हूं,
केबीसी में करोड़पति बनने वाली अनामिका मजूमदार हूं मैं,
जो जीता वही सुपर स्टार वाला राजदीप चटर्जी हूं मैं,
'दिल लेना दिल देना, ज़रूरी नहीं है,
इन बातों के सिवा, भी बातें कई हैं ' - शिल्पा राव हूं मैं।

विख्यात पुस्तक माई फैमिली एंड अदर एनिमल्स के लेखक,
जर्सी चिड़ियाघर के संस्थापक गेराल्ड मैल्कम ड्यूरेल
का जन्मदाता मैं ही तो हूं।
मैं लक्खा सिंह बनकर बाबा के भजन गाता हूं ,
मैं प्रेम हूं, मैं अनुभव हूं, मैं श्रद्धा हूं।

जनजातीय दीपों से मैं दीपमालिका सजाता हूं,
बनकर संदीप मैं ही कलम चलाता हूं ,
नसरवान जी का शहर हूं मैं
मैं जमशेदपुर हूं।

- संदीप मुरारका
जनजातीय समुदाय के सकारात्मक पहलुओं पर लिखने वाले कलमकार
जमशेदपुर
9431117507
www.sandeepmurarka.com