“समृद्ध और विकसित झारखंड का परिकल्पना: हमारे सपने और योगदान”*
यह कोई सरकारी परिचर्चा का शीर्षक नहीं,
बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है.
औपचारिकता करने के लिए मेरे पास भी
खनिज संपदा, भूमि संसाधन, मानव बल,
और राजनीतिक अस्थिरता जैसे
भारी-भरकम शब्दों का पूरा संग्रह था.
चाहता तो मैं भी लंबा चौड़ा, तकनीकी भाषण दे देता.
लेकिन—
इस विषय का मूल दो शब्द हैं:
सपने… और योगदान!
और इन्हीं दो शब्दों में
हम सबके लिए एक प्रश्न छिपा है—
“पिछले 25 वर्षों में हमारी भूमिका क्या रही?
हमने अपने झारखंड को समृद्ध बनाने के लिए अब तक क्या किया?”
*झारखंड — एक अनुपम धरोहर*
झारखंड कोई साधारण राज्य नहीं,
यह प्रकृति की गोद है, संस्कृति का आसन है,
और आध्यात्मिकता की जड़ें यहाँ की मिट्टी में घुली हैं.
यहीं बाबा धाम है — द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक,
यहीं शक्तिपीठ हैं,
यहीं पांडवों की यात्राओं के दर्जनों ऐतिहासिक स्थल हैं,
यहीं लोहरदगा में भगवान बजरंगबली की जन्मस्थली अंजनी धाम है,
यहीं पश्चिमी सिंहभूम में बाबा श्याम (बर्बरीक) की जन्मभूमि है,
यहीं गुमला में भगवान परशुराम का टांगीनाथ धाम है,
इतना ही नहीं —
झारखंड की हर नदी, हर पहाड़, हर कण-कण
इतिहास और पवित्रता से भरा हुआ है.
यह राज्य पर्यटन की असीम संभावनाओं से सराबोर है.
*मारवाड़ी समाज की ताक़त — और विकास का सूत्र*
सत्र में चर्चा के दौरान पता चला कि
अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच के देशभर में लगभग 65,000 सदस्य हैं.
और यदि मारवाड़ी सम्मेलन, महिला मंच, अग्रवाल सम्मेलन आदि को जोड़ दें,
तो यह संख्या एक लाख से भी ऊपर पहुँच जाती है.
सोचिए…
यदि यही लोग अपने परिवारों और परिचितों को यह बताएँ—
कि झारखंड क्या है,
यहाँ क्या-क्या है,
और उन्हें जीवन में एक बार यहाँ जरूर आना चाहिए…
तो एक वर्ष में 1000 लोग भी यदि झारखंड पर्यटन के लिए आ जाते हैं,
तो यह उस राज्य के लिए वही होगा
जैसे भीषण आग पर
किसी चिड़िया के द्वारा गिराया गया पानी.
जो छोटा दिखता है…
पर दिशा बदल देता है.
यह अभियान हमारी शाखाओं से शुरू हो सकता है.
हर जिले की शाखा अपने पर्यटन स्थलों का सुंदर संकलन तैयार करे—
• स्थलों का इतिहास
• उसका धार्मिक -सांस्कृतिक महत्व
• वहाँ कैसे पहुँचना है
• नजदीकी रेल व विमान मार्ग
• और दर्शनीय स्थलों की तस्वीरें
यह पुस्तिका देशभर के हर मारवाड़ी परिवार तक पहुँचे.
और संदेश हो—
*“पधारो झारखंड
यहाँ सिर्फ सफर नहीं,
अनुभव आपका इंतज़ार कर रहा है.”*
*जमशेदपुर — पर्यटन का नया अध्याय*
कौन कहता है कि छुट्टियाँ सिर्फ गोवा-दिल्ली-मसूरी की हैं?
एक बार झारखंड को देखिए—
• डिमना झील में सुबह का सुकून
• दलमा पहाड़ में हिरण और हाथियों की झलक
• राजनगर का भीमखांदा — जहाँ भीम का चूल्हा है, द्रौपदी की स्मृतियाँ हैं
• घाटशिला का पंच पांडव पहाड़
• जादूगोड़ा का रंकिणी मंदिर
• पाथेर पांचाली के लेखक बिभूतिभूषण बंद्योपाध्याय की स्मृतियाँ
और जमशेदपुर—
देश का सबसे साफ-सुथरा औद्योगिक शहर,
जहाँ पर्यटन और सुविधाएँ साथ-साथ मिलती हैं.
यहाँ ताज विवांता, रेडिसन, रामाडा जैसे होटल,
2500 से 10,000 रुपये की रेंज में बेहतरीन ठहराव प्रदान करते हैं.
और भोजन?
दक्षिण भारतीय स्वाद, बंजारा की राजस्थानी थाली,
और जमशेदपुर की शामें—
आपके छुट्टी के हर पल को यादगार बना देंगी.
*तो आज का असली प्रश्न यही है—*
सपने क्या हैं?
और उनमें हमारा व्यक्तिगत योगदान क्या होगा?
झारखंड को समृद्ध बनाना
सरकार का ही काम नहीं—
यह हमारा भी धर्म है,
हमारी ज़िम्मेदारी है,
और हमारी पहचान भी.
सपनों को पूरा करने वाले
कदम सरकारें नहीं उठाती—
उन्हें लोग उठाते हैं,
हम और आप उठाते हैं.
आज की यह चर्चा
झारखंड के लिए
हमारे सामूहिक सपनों का पहला अध्याय बने—
इसी कामना के साथ,
जोहार! धन्यवाद!!