Sunday, 28 May 2017

द्वादश ज्योतिलिँग

बोलबम बोलबम के नारों से देवघर गूँज जावे,
जब कांवरिया बाबा वैघनाथ को जल चढावे ।

गुजरात के सौराष्ट्र में भव्य मंदिर सोमनाथ का ,
कहते हैं कि पहला ज्योतिर्लिंग है ये संसार का ।

चार तीर्थों में एक , श्रीकृष्ण का द्वारिका धाम ,
समीप नागेश्वर महादेव की आरती सुबह शाम ।

नासिक में त्र्यम्बकेश्वर मंदिर को जो भक्त जावे ,
ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों के लिंगरूपी दर्शन पावे ।

मोटेश्वर महादेव का होता यहाँ पूजन अर्चन ,
पुणे में विराजते भीमाशंकर रुप में भगवन ।

महाराष्ट्र के सम्भाजी का प्रसिद्ध घृष्णेश्वर मंदिर ,
ऐलोरा गुफाओं के समीप स्थित अंतिम ज्योतिर्लिंग ।

हैदराबाद श्रीसेल्लम की कृष्णा नदी में कर स्नान , मल्लिकार्जुन मंदिर में लगाओ महादेव का ध्यान ।

तमिलनाडु में रामेश्वरम के संस्थापक श्रीराम ,
राम पूजे महादेव को , महादेव पूजे प्रभु राम ।

उज्जैन के दक्षिणमुखी महाकालेश्वर का भव्य वर्णन ,   किया महाकवि कालीदास ने मेघदूत में मनोहर चित्रण ।

मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में बहती पावन नदी नर्मदा , मँधाता द्वीप पर पिनाकी ओंकारेश्वर का निवास सदा ।

उतराखंड हिमालय के शिखर पर विराजते केदारनाथ, 
  पाँच नदियों के संगम पर बैठे पहाडियों बीच भोलेनाथ ।

बाबा विश्वानाथ की नगरी में तुलसी, कबीर, प्रेमचंद, 
रविदास जयशंकर बिस्मिल्लाह मालवीय औ' गंगा तट ॥

संदीप मुरारका
दिनांक 28 मई 2017 रविवार
ज्येष्ठ शुक्ल 3 विक्रम संवत 2074

सती का सतीत्व

हाथियों का सा बलशाली वानरराज बाली महान ,
दानवो को मारने वाला योद्धा वीर औ' बुद्धिमान ।

ललकारा जब सुग्रीव ने जाकर उसके द्वार ,
समझाने लगी पत्नी तारा उसको बारम्बार ।

किया वादा बाली ने अर्धांगिनी से ,
राजधर्म तो मैं अवश्य निभाउंगा ,
ललकारे कोई यदि द्वार पे आकर ,
तो उसे सबक अवश्य सीखाउँगा ,
पर बात तुम्हारी मानता हूँ ,
है सुग्रीव चूँकि भाई मेरा ,
नहीँ उसको मार गिराउंगा ,
करो विश्वास प्रिये तुम मेरा ,
जाने दूँगा जीवित वापस उसे ,
रण जीत शीघ्र लौट आऊँगा ।

तारा के चेहरे पे बूँदें पसीने की बह रही ,
चिंता की लकीरें माथे पे स्पष्ट दिख रही ।

कहा बाली ने अब चिंता क्यों प्रिये ?
साथ आये हैं राम लक्ष्मण, इसलिये !
अरी जड़ मूर्ख नारी , वो प्रभु हैं ।
उनसे कैसी शत्रुता हमारी ?
नहीँ भय मुझे श्री राम से ,
क्योंकि वो हैं धर्मात्मा ,
कर्तव्यकर्तव्य का है ज्ञान उन्हे ,
नहीँ अपराधी उनका मैं ,
फ़िर वे मुझसे क्यूँ रुठेंगे ?

सुग्रीव बाली के युध्द के दौरान ,
छिप कर खड़े हो गये भगवान ,
चला दिया पेड़ की ओट से बाण ,
चीत्कार उठा बाली वीर महान ।

टूटा विश्वास, ह्रदय में पीड़ा ,
रक्तरंजित भूमि पर गिर पड़ा ,
एकटक देख रहा श्रीराम को ,
आँखो से बह उठी अश्रुधारा ,
मानो पूछ रहा हो प्रभु से कि ,
रचा ये कौन सा दंड विधान ।

निरपराध समझता बाली स्वयं को ,
वह श्री राम को उलाहना देता रहा ,
ओट में छिप कर बाण चलाने पर ,
प्रभु की प्रभुता पर शक करता रहा ।

धैर्यवान शांत श्रीराम समीप आये ,
कहा हे बाली तू था वीर बुद्धिमान ,
राज किष्किन्धा का प्राचीन महान ,
रावण काँख में तेरी खेल चुका है ,
कई राक्षसो को तू मसल चुका है ,
अंत:पुर में सुंदर वानरी कई हजार ,
तारा से शोभा तेरे महल की अपार ,
फ़िर किया कैसे तूने ऐसा अनाचार ,
निकाला भाई को अपने राज्य से ,
सम्पति पद से भी तूने च्यूत किया ,
पर छू कैसे पाया था रूमा* को तू ,
रिश्ते को तूने कलंकित किया ,
तू मेरे बाणों से लहूलुहान हो भले ,
पर तुझे मैने नहीँ, तेरे कर्मों ने मारा,
तूने एक सती का सतीत्व भ्रष्ट किया ।

*रूमा - सुग्रीव की पत्नी का नाम

संदीप मुरारका
दिनांक 28 मई 2017 रविवार
ज्येष्ठ शुक्ल 3 विक्रम संवत 2074