Saturday, 28 April 2018

जी ली गई जिंदगी


आती हो चित्रकारी तो तुझे कैनवास पर उकेर दूँ ,
आती हो कविता तो तुझे सुंदर शब्दों में बदल दूँ ॥

तुम रंग नहीं मेरे लिये , कि लाल हरे पीले नीले ,
गुलाबी भूरे काले, सीमित रंगों में तुम्हें समेट सकूं ।

तुम वर्णमाला के अक्षर भी तो नहीं हो ,
कि तुम्हें स्वर व्यंजन में विभाजित कर दूँ ।

तुम खुशी हो पैदा होने की , तुम रुदन हो  भूख की ,
तुम खुशी हो खिलौने की , तुम चिंता हो परीक्षा की ।

फूटे घुटने , फटी पैंट , खरोंच हो तुम ।
लूडो , पतंग , कैरम और क्रिकेट हो ।

तुम जिद हो एक अदद साईकिल की ,
तुम गर्ल फ्रेंड के गिफ्ट की टेंशन हो ।

तुम कॉलेज की बंक की गई क्लास हो ,
तुम बाईक में बैठ घूमने वाली दोस्त हो ।

तुम कम्पीटीशन इग्जाम की असफलता हो ,
जो ना मिली, उस नौकरी का अफसोस हो ।

बिजनेस का स्ट्रगल हो यार तुम ,
उधार पर सुने ताने हो जान तुम ।

मिली हर छोटी मोटी सफलता तुम ही तो हो ,
और हर बड़ी असफलता भी तो तुम ही हो ।

दर्द हो तुम , अपमान हो तुम , टूटे सपने हो ,
मिला हर सम्मान और प्यार भी तुम ही हो ।

दुःख में निकला हुआ हर आँसू तुम हो ,
मस्ती में भरी मुस्कान भी तो तुम ही हो ।

तुम उम्मीद हो , तुम सफर हो , तुम गम हो ,
लिख सकूँ जितना तुमको उतना ही कम हो ।

अरे मेरी जान , जनेमन, जानेजीगर ,जानेजहाँ ,
तुम साया हो मेरा , मेरी जी ली गई जिंदगी हो ॥

संदीप मुरारका
दिनांक 28 अप्रैल'18 शनिवार
वैशाख शुक्ल 13 विक्रम सम्वत ' 2075

आज मेरे दोस्त अमित -रितु रुँगटा की शादी की 19वीं वर्षगाँठ है , उसके घर पर कीर्तन का आयोजन था , अपन ठहरे भजन कीर्तन से दूरी वाले , सो वहाँ बैठे बैठे लिखी गई ये पंक्तियों - अमित तेरे दोसा और गोल्गप्पो के नाम । जियो मेरे दोस्त , बनी रहे तुम दोनों की जोड़ी । Love you.

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