आओ मृत्यु , आओ मृत्यु ,
वरण करूँ तुम्हारा ।
श्वेत चादर तुम लेते आना ,
देह को खूब सजाना ।
मिली कब्र यदि मुझको , आह !
उस ज़मी पर मेरा राज होगा ।
जला दिया गया यदि मैं ,
तो नदियों मेंं मेरा संसार होगा ।
मिलेगा ना कोई आशिक ,
तुमको मुझ जैसा ।
आओ तुम भी मुझको वरण करो ,
करना है कल जो वो आज करो ।
मिलकर उनसे कहना है -
निवेदन यह स्वीकार हो -
हर जगह विलम्ब परमात्मा ,
ये न्याय सही नहीं ।
जिस जन्म के हों अपराध ,
उसी जन्म मेंं सजा हो ।
जिस जन्म मेंं हों कर्म अच्छे ,
वह जन्म सफल हों ।
पूर्वजन्म की पोथी के आधार पर ,
ना चलाओ दुनिया ।
स्वयं पर शक होने लगता है ।
बेवजह आप पर भी ......।
सो अब इंतजार ना कराओ ,
आओ मृत्यु , आओ मृत्यु ।
वरण करूँ तुम्हारा,
आओ मृत्यु , आओ मृत्यु ॥
29/7/2018
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