Thursday, 25 June 2020
यात्रा संस्मरण : नवलगढ़ मार्च 2019
कोविड 19 के संकट काल में ना तो किसी का ट्रैवलिंग बैग पैक हो रहा है, ना कोई एयरपोर्ट जा रहा है, ना कोई स्टेशन पर बैठकर ट्रेन का इंतजार कर रहा है. सारी ट्रैवलिंग जब बन्द है, तो पुरानी यात्राओं की याद आना स्वभाविक है. हर यात्रा का संस्मरण होता है. मेरा भी है. देश विदेश की कई यात्राओं का है. यात्राएँ या तो व्यापार सम्बन्धी रही या सैर सपाटे के लिए या धार्मिक.
किन्तु एक ऐसी यात्रा जो मात्र एक रात दो दिनों की थी चार रातो में तब्दील हो गई, और यादगार बन गई. यात्रा थी अपने गाँव की. राजस्थान के नवलगढ़ की.
सचमुच, गाँव की माटी, गाँव के मतीरे (कच्चा तरबूज) की सब्जी, शाम को मोठ् और लहसुन की चटनी के साथ गरम गरम कचौरी का देशी स्वाद, गोलगप्पे के मसाले में लाल अनार के दाने और अंगूर , लम्बी मिर्च की पकौड़ियाँ, सड़क पर घूमते मोर, मन्दिरों की भरमार, बड़ी बड़ी हवेलियाँ, गले में कैमरे लटकाए विदेशी पर्यटक.
आह नवलगढ़ । वाह राजस्थान ॥
वैसे तो मैं कई बार राजस्थान गया हूँ, खाटू श्याम, सालासर बालाजी, झुंझनू राणीसती दादी, मेहंदीपुर बालाजी, जीणमाता, शाकंभरी देवी, सरदार शहर, लक्ष्मणगढ़ , श्रीमाधोपुर, जयपुर . हर बार अपनापन सा लिए स्वागत को उत्सुक दिखता है राजस्थान. यही कारण है कि मंहगी शादियों या डेस्टिनेशन मैरिज के लिए पहली पसंद है राजस्थान. भारत में सबसे ज्यादा विदेशी सैलानियों को आकर्षित करता है राजस्थान. बालीवुड की आउटडोर शूटिंग के लिए बेस्ट इण्डियन प्लेस है राजस्थान. पुष्कर मेला य़ा खाटू मेला , अपने अनूठे मेलों के लिए प्रसिद्ध है राजस्थान. देश विदेश के हजारों साहित्यप्रेमियों का जमावाड़ा पूरे भारत में केवल जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में ही देखने को मिलेगा. ऐसा है राजे रजवाड़ों, शानो शौकत वाला ऊंट हाथी से भरा रंग बिरंगा राजस्थान.
खैर, जयपुर से लगभग 150 किलोमीटर पर झुंझनू जिले का एक प्राचीन गाँव है नवलगढ़. जिसकी हवेलियों में बनी सुंदर फ्रेस्को पेंटिंग्स दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं. दीवारों पर वाटर कलर्स से बनी इन्हीं पेंटिंग्स के चलते शेखावाटी (नवलगढ़) को ओपन आर्ट गैलरी भी कहा जाता है. हमें कुछ अच्छा सा दृश्य दिखता है तो तुरन्त होठों को मोड़ माड़ कर एक सेल्फी लेने का प्रयास करेंगे या उस जगह खड़े होकर एक फोटो क्लिक करवाएंगे. किन्तु वहीँ, विदेशी पर्यटक, दिन दिन भर पैदल सड़कों में घूम घूम कर हवेलियों की एक सदी पुरानी चित्रकारी की तस्वीरें लेते दिख जाएंगे. वर्ष1830 से 1930 के दौरान वहाँ के समर्थ व्यवसायियों ने अपनी सफलता और समृद्धि को प्रमाणित करने के उद्देश्य से सुंदर एवं आकर्षक चित्रों से युक्त हवेलियों का निर्माण कराया. इनमें भगतों की हवेली, छोटी हवेली, परशुरामपुरिया हवेली, छावछरिया हवेली, सेक्सरिया हवेली, मोरारका की हवेली एवं पोद्दार हवेली आदि प्रमुख हैं. ये रंग ये चित्रकारी ये हवेलियां किसी समय शानों-शौकत की प्रतीक थी. आज नवलगढ़ की हवेलियाँ राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत का रूप ले चुकी हैँ . जमशेदपुर के पुराने घरों में एक या दो चौक ( घर के बीचोबीच खुला आंगन ) देखने को मिलते हैँ, पर आश्चर्य नवलगढ़ में सात चौकों की विशाल हवेली देखने को मिली.
नवलगढ़ को अब गाँव कहना अनुचित होगा. नवलगढ़ नगरपालिका की भव्य इमारत जो राज्यसभा सांसद कमल मोरारका ने अपने पिता एम.आर.मोरारका की स्मृति में बनवाई है, वो अपने आप में एक दर्शनीय भवन है. संभवतः पूरे देश का यह सबसे खूबसूरत नगरपालिका भवन है.
नवलगढ़ शहर में प्रवेश के लिए चार दिशाओं में चार बड़े बड़े दरवाजे (अगूना द्वार, बावड़ी द्वार, मंडी द्वार व नानसा द्वार) और उनके बीच नए पुराने कंस्ट्रक्शन का मिक्स वृहत बाजार. जहाँ आपको छोटे से बड़ा जरूरत का हर समान आपके मनपसंद ब्रांड का मिल जाएगा.
भारत के हर गाँव में शिव जी के मंदिर मिलेंगे. मंदिर में स्थापित होगा एक शिवलिंग. किन्तु यदि एक ही शक्ति वेदी पर भगवान शंकर के ग्यारह लिंग पर एक साथ जल चढ़ाने की इच्छा हो तो आपको अगली बार नवलगढ़ की यात्रा करनी होगी. जहाँ प्राचीन एवं भव्य ' घेर के मंदिर ' में यह अद्भुत दृश्य देखने को मिलेगा. ' घेर का मंदिर ' ना केवल ऐतिहासिक है बल्कि बिड़ला परिवार की सफलता की किस्से कहानियों को संजोए हुए है. बैठ जाइए पुजारी जी के पास और सुनिए पुरानी किदवन्तीया, लेकिन उसके बाद आप मंदिर का चप्पा चप्पा देखने खासकर छत पर जाने से खुद को रोक नहीँ पाएंगे.
नवलगढ़ में मुझे दर्शन हुए वर्ष 1776 में राजा नवल सिंह द्वारा स्थापित लोक देवता रामदेव बाबा के अति सुंदर मंदिर के, जहाँ प्रत्येक वर्ष लक्खी मेला का आयोजन होता है. इस मेला में आज भी पारम्परिक तौर पर राजपरिवार के वंशज पूजा की शुरुआत करते है. इस मेले में आकर्षण का केन्द्र होता है एक घोड़ा, कहते हैँ यह बाबा रामदेव के घोड़े का ही वंश है .इस परम्परा का निर्वाह 244 वर्षोँ से हो रहा है.
छोटा सा नवलगढ़ और कई मंदिर. सभी 250 -300 साल प्राचीन. सभी अपने आप में एक इतिहास को समेटे हुए. वास्तुकला के अद्भुत उदाहरण. मायड़ (मारवाड़ी) भाषा बोलते पुजारी. गजब की सफाई. सच में आनन्द आ गया इन मन्दिरो के दर्शन कर. बाजार के बीचोबीच गोपीनाथ जी का मंदिर, जानकी नाथ जी का मंदिर, गणेश मंदिर, कोठी रोड़ में चावण (चामुण्डा) माता का मंदिर, विशाल शिव मंदिर, बावलिया बाबा मंदिर, हनुमान जी के कई मंदिर , शीतला माता , श्याम बाबा, नरसिंह आदि मन्दिरो से भरा हुआ है नवलगढ़. आप एक दिन में सारे मन्दिरो में नहीँ जा पाएंगे.
गाँव की सड़को पर अपने चचेरे छोटे भाई कार्तिक उर्फ गुड्डू की स्कूटी पर बैठकर गलियों में घूमने में जो मजा आया, उसके सामने विदेशी गाड़ियों और सिक्स लेन सड़कों पर ड्राइविंग का मजा फेल है. गुड्डू ने गली गली लेजाकर मुझे पहुँचा दिया 'काकू की पान दुकान' . सच कहता हूँ यदि आप पान खाने के शौकीन हैँ तो ऐसा पान आपको बहुत कम जगहों पर मिलेगा. आह काकू ! वाह गुड्डू ॥
पुराने इतिहास को संजोए हुए है नवलगढ़. शेखावटी की संस्कृति का परिचायक है वहाँ के दो मुख्य दर्शनीय स्थल . पहला कमल मुरारका हवेली म्यूजियम एवं दूसरा डॉ. रामनाथ पोद्दार हवेली म्यूजियम . इनको देखकर यह भी समझ आया कि हमारे पुरखे सदियों पूर्व कितने समृद्ध रहे होंगे . क्योंकि वे व्यवसाय करते थे. आज देखादेखी की दौड़ में व्यवसायी समुदाय के बच्चे नौकरी की फेर में पड़े हैँ. इसके इतर वंचित वर्ग में एक बड़ा तबका इंटरप्योरनर बन रहा है.
ऐसा नहीँ है कि मुझे केवल ऐतिहासिक नवलगढ़ देखने को मिला बल्कि दिखा भविष्य की ओर अग्रसर नवलगढ़. लगभग 3 एकड़ में फैला यहाँ का साइंस पार्क. न्यूक्लियर गैलरी, फन साइंस, प्लानेटेरियम , विशाल डायनासोर. समय के साथ आगे बढ़ता नवलगढ़. फिर एक बार मुँह से निकल पड़ा वाह नवलगढ़ !
सबसे ज्यादा आश्चर्य यह जानकर हुआ कि नवलगढ़ में एक यूनिवर्सिटी भी है और उसके ट्रस्टी रह चुके हैँ महात्मा गांधीजी. यह महाविद्यालय राजस्थान का पहला महाविद्यालय है. जिसकी स्थापना वर्ष 1921 में हुई. सेठ ज्ञानीराम बंसीधर पोद्दार महाविद्यालय, नवलगढ़ . यह देखकर गर्व हुआ कि राजस्थानी जब पैसा कमाते हैँ तो धर्मार्थ व शिक्षार्थ खर्च भी करते हैँ. किन्तु एक टीस भी हुई कि काश अपने जमशेदपुर में भी एक यूनिवर्सिटी होती.
वैसे तो मैं तीन रात अपने दादाजी बाबुलाल जी मुरारका की हवेली में रुका. किन्तु प्रारम्भ में मेरा केवल एक रात रुकने का कार्यक्रम था. पहुँच भी रहा था देर रात को. सोचा क्यों ना हेरिटेज होटल में ठहरा जाए. सो पहली रात बिताई 'होटल रूप विलास पैलेस ' में . सच में अद्भुत ठाट बाट. पुराने दो कमरों को मिला कर एक बना दिया गया है. एक में वही पुराने पलंग,साज सज्जा, दरवाजे. साथ वाले कमरे में आधुनिक टॉयलेट. बीच की दीवार खोल कर दरवाजा लगा दिया गया. ताकि बन जाए अटैच्ड टॉयलेट. बाहर सजी बड़ी सी डायनिंग टेबल. मानो राजासाह्ब भोजन पर अभी आने ही वाले हों. देखकर लगा कि यह काम तो झारखण्ड के गाँवो में भी हो सकता है. मट्टी की दीवारे , उनपर प्राकृतिक रंगो से बनी कलाकृतियाँ, खप्पर की छत, मट्टी के बरतन. यदि अटैच्ड टॉयलेट बना दिए जाएँ. रात को ट्राइबल नृत्य हो. गेस्ट को हाइजेनिक फूड मिले. महुआ हड़िया को फ्लेवर्ड कर देशी ड्रिंक परोसी जाए. तो क्या मुम्बई पंजाब या विदेश के लोग हमारे यहाँ ट्राइबल टूरिज्म पर आना पसन्द नहीँ करेंगे ?
प्रत्येक वर्ष नवलगढ़ में मुरारका फाऊंडेशन द्वारा भव्य शेखावाटी उत्सव मेला का आयोजन किया जाता है. जिसमे राजस्थान कला, संस्कृति व पर्यटन विभाग एवं जिला प्रशासन का पूर्ण सहयोग रहता है. इस उत्सव को देखने हजारों विदेशी पर्यटक आते हैँ. वैसे इस प्रसिद्ध मेले की अपार सफलता के पीछे जिस शख्स का नेतृत्व कार्य करता है, वो हैँ राज्यसभा सांसद, पूर्व केन्दीय मंत्री, सफल उद्यमी, 74 वर्षीय समाजसेवी कमल मोरारका. जिन्होंने वर्ष 2012 में लंदन में हुई नीलामी में महात्मा गांधी से जुड़ी 29 निशानीयों को करोड़ों रुपए की बोली लगाकर खरीद लिया था. और फिर कमल मोरारका ने भारत लाई गई वस्तुओं में गांधीजी के चरखे का चक्र, चश्मा, महात्मा के खून से सनी मिट्टी व अन्य चीजों को सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे को भेंट कर दिया.
नवलगढ़ झुंझनू लोकसभा क्षेत्र के अन्तर्गत आता है. मुझे यह जानकर गर्व हुआ कि झुंझनू के पहले सांसद राधेश्याम रामकुमार मुरारका थे. नवलगढ़ के निवासी आर आर मुरारका लगातार तीन बार लोकसभा पहुँचे. और 1952 से 1967 तक सांसद रहे.
ऐसा है नवलगढ़. ऐसे हैँ नवलगढ़ के लोग. बार बार बुलाता है नवलगढ़. याद आता है नवलगढ़. आह नवलगढ़ । वाह राजस्थान ॥
संदीप मुरारका
25.06.2020
Tuesday, 23 June 2020
स्वच्छ भारत अभियान
स्वच्छ भारत अभियान - क्या यह केवल नारा है ? क्या यह केवल एक सरकारी स्लोगन है ? क्या यह केवल सरकार की योजना है ?
नहीँ ! यह अभियान जनता का है. यह अभियान जनता के लिए है. यह अभियान जनता द्वारा संचालित होने पर ही सफलता मिलेगी.
मित्रों. बताइए -
क्या आपलोग अपनी कॉपी बुक्स स्कूल बैग गन्दा रखते हैँ ? नहीँ ना !
क्या हम लोग गन्दी प्लेट में खाना खा सकते हैँ ? नहीँ ना !
क्या हमलोग गन्दे बिस्तर पर सोना पसन्द करते हैँ ? नहीँ ना !
जब सभी लोग इतने साफ सुथरे रहते हैँ. जब सभी स्वच्छता पसन्द लोग हैँ. तो फिर देश में इस स्वच्छ भारत अभियान की जरूरत क्यों पड़ी ?
क्योंकि आपका घर स्वच्छ हैँ पर घर के बाहर कचड़े का ढेर है. आपका फ्लैट स्वच्छ है किन्तु अपार्टमेंट की सीढ़ियॉ पर पान थूका हुआ है. आपकी स्कूल स्वच्छ है पर स्कूल के बाहर निकलते ही बच्चों ने कुरकुरे और चिप्स के रैपर सड़को के किनारे फैंक दिए हैँ. नाली से लेकर सरकारी आफिस तक सभी जगह गन्दगी का अम्बार है. औरतें खुले में शौचालय जा रही हैँ. पुरुष राह चलती बिज़ी से बिजी सड़क पर दीवार की ओर मुँह करके खड़े हो जाते हैँ.
असल में कूड़ा सडको पर य़ा नाली में नहीँ फैला हुआ है. ये फैला हुआ है हमारी मनसिकता में. और यही से करनी है स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत. इस अभियान में नदी, नाले, शौचालय, पार्क , पब्लिक प्लेस या किसी ऑफिस को स्वच्छ नहीँ करना है बल्कि स्वच्छ करना है स्वयं को. अपनी मानसिकता को बदलना है.
स्वच्छ भारत अभियान एक संदेश है . स्वच्छ भारत अभियान एक सपना है स्वच्छ देश का. स्वच्छ भारत अभियान श्रधांजलि है गाँधी जी को. स्वच्छ भारत अभियान आभार है प्रधानमंत्री जी के प्रयासों का .स्वच्छ भारत अभियान आरम्भ है 21वीं सदी के नए भारत का.
आइए हम प्रण लें कि स्वच्छ भारत अभियान का हम हिस्सा बनेगे एवं अपने आस पड़ोस को स्वच्छ रखेंगे व दूसरों को भी प्रेरित करेंगे.
स्वच्छ बनेगा भारत तभी तो विश्वगुरु बनेगा भारत ॥
भांजी आकांक्षा के स्कूल में स्पीच कॉम्पिटिशन के लिए लिखे गए शब्द
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