हम शाल ओढ़ते उढाते रह गये ।
वो बिना कफ़न बाढ़ में बह गये ॥
दिनांक 25 जुलाई 2017 जमशेदपुर की बाढ़ और समाजसेवकों की अवस्था पर टिप्पणी शेर के रुप में
संदीप मुरारका
हम शाल ओढ़ते उढाते रह गये ।
वो बिना कफ़न बाढ़ में बह गये ॥
दिनांक 25 जुलाई 2017 जमशेदपुर की बाढ़ और समाजसेवकों की अवस्था पर टिप्पणी शेर के रुप में
संदीप मुरारका
खेतों को लूटने से बचाता है काला कोट
गरीबों को न्याय दिलाता है काला कोट ।
कहीँ हाथ उठाने पे भी सलाखों के पीछे पहुँचाता,
कहीँ फुटपाथ पे सोये गरीब के हत्यारे को बचाता,१
काला कोट ।
कहीँ सिक्के चुराने वाले को हथकड़ी लगवाता ,
कहीँ करोड़ों के अपराधी को भी विदेश भगाता ,२
काला कोट ।
कहीँ विधवा को भी उसका हक दिलवाता ,
कहीँ निर्भया के बलात्कारी को बचा लाता ,३
काला कोट ।
कहीँ झोपड़ियों में बिजली चोर को सजा दिलाता,
कहीँ करोड़ों के कर चोरों को बाइज्ज़त बरी कराता,४
काला कोट
कभी बरी अपराधी को खींच कोर्ट में ले आता ,५
तो कभी अपराधी को साफ बचा कर ले जाता , ६
काला कोट ।
किसी को पेरौल पे गाहे बेगाहे बाहर ले आता , ७
किसी को एक जमानतदार भी नहीँ दिला पाता ८
काला कोट ।
डाक्टर इंजीनियर आई ए एस के दस्तावेजों पर ,
दस दस रुपये ले करवाता अनुप्रमाणित हस्ताक्षर,९
काला कोट ।
कोई टाईपिस्ट को भी ससमय पैसे नहीँ चुका पाता,
कोई मिनट के हिसाब से क्लाइंट का बिल बनाता , १०
काला कोट ।
अधिवक्ता मित्रों को पूरे आदर के साथ समर्पित -
संदीप मुरारका
दिनांक 17 जुलाई सोमवार
विक्रम सम्वत 2074 श्रावण मास 8 कृष्ण
१सलमान खान
२विजय माल्या , ललित मोदी
३नाबालिग किशोर
४ अहमदाबाद के आयकर मामले Jag Heet, Jasubhai, Liverpool, Dharendra, Prafull Akhani
५ जेसिका हत्यारा मनु
६ सुनन्दा पुष्कर थरूर कांड
७ संजय दत्त
८ गरीब जिनका कोई रिश्तेदार ना हो
९ नोटरी पब्लिक
१० नरीमन, सिंघवी , जेटली ,जेठमलानी , साल्वे
सजा अयोध्या नगरी का भव्य राजदरबार ,
बैठी तीनों मातायें , गुरुजन , राजा जनक ,
मित्र सुग्रीव , भ्राता लक्ष्मण,भरत, शत्रुघ्न
भक्त हनुमान और जनता हजारों हजार ।
श्वेत चँवर,स्वर्ण सिंहासन, देदिप्यमान
कुकुत्स्थकूल भूषण , दशरथ नन्दन ,
रघुकूल तिलक, वीर धनुर्धारी ऐश्वर्यवान
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम विराजमान ।
मुनीकुमारों का वेष , हाथों में वीणा ,
जिह्वा पे बैठी मानो माँ शारदे स्वयं ,
कोयल से मीठे स्वर में गाते बालक ,
महर्षि वाल्मीकि का रचा महाकाव्य।
राम का दरबार , राम की गाथा ,
सबकी आँखे नम, चेहरा मौन है,
कौंध रहा सवाल सबके ह्रदय में ,
आखिर ये दोनों गायक कौन है ?
जानकी जनकनंदिनी, दशरथपुत्रवधू ,
भगवती सीता की कथा जब सुनाई ,
पतिव्रता सतीसाध्वी की भूल क्या थी ,
राम की सभा भी तय नहीँ कर पायी ।
सुन सभा में सारे लोग जड़ हो गये ,
रुंध गये गले, बहने लगी अश्रुधारा ,
शिष्य वाल्मीकि के, माँ है जानकी
पिता श्रीराम , लवकुश नाम हमारा ।
गुरुजनों के हाथ आशिष देने लगे ,
दादी कौशल्या के होंठ फ़ड़कने लगे ,
चाचा हुये सारे ह्रदय से बहुत प्रसन्न ,
हनुमान ने किया मन ही मन वंदन ।
छोड़ सिंहासन , राजा राम खड़े हुये ,
सब पिता राम की ओर देखने लगे ,
कि सोचा सभी ने , अब दौडेगें प्रभु ,
और अपने पुत्रों को गले से लगायेंगे ।
राम तो राजा ठहरे ,पहले राजधर्म निभायेंगे ,
कड़कने लगी बिजली , फट गया आसमान ,
जब माँगा श्रीरामचंद्र ने पुत्र होने का प्रमाण ?
लवकुश की गाथा सिखाती जीवन नहीँ आसान ॥
संदीप मुरारका
दिनांक 16 जुलाई'17 रविवार
श्रावण मास कृष्ण 7 विक्रम सवंत 2074