हम शाल ओढ़ते उढाते रह गये । वो बिना कफ़न बाढ़ में बह गये ॥
दिनांक 25 जुलाई 2017 जमशेदपुर की बाढ़ और समाजसेवकों की अवस्था पर टिप्पणी शेर के रुप में
संदीप मुरारका
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