Tuesday, 25 July 2017

शेर

हम शाल ओढ़ते उढाते रह गये ।
वो बिना कफ़न बाढ़ में बह गये ॥

दिनांक 25 जुलाई 2017 जमशेदपुर की बाढ़ और समाजसेवकों की अवस्था पर टिप्पणी शेर के रुप में

संदीप मुरारका

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