माना कि मैं भक्त तेरा इतना अच्छा नहीं ।
माना कि मैँ तेरे जगराते मेंं आता नहीं ।
माना कि मैँ भजनों पे तेरे झूम जाता नहीं ।
माना कि मैँ इतर लगाता नहीं ।
माना कि मैँ कुर्ते से ख़ुद को सजाता नहीं ।
माना कि मैँ फूल का श्रृंगार करवाता नहीं ।
माना कि मैं हर माह तेरे द्वारे आता नहीं ।
माना कि मैँ मेरे द्वारे तेरा नाम खुदवाता नहीं ।
माना कि मैँ जगराते का पकवान खाने जाता नहीं ।
पर याद रखना इतना ए श्याम प्यारे ,
तुझको दिल मेंं बसा रखा है ।
हे नाथ, भूल ना जाऊँ तुझको ,
इसलिए साँसों को तेरा नाम रटा रखा है ।
संदीप मुरारका
21 नवम्बर 2019 गुरुवार
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