पद्मविभूषण - 2020, खेल के क्षेत्र में
जन्म : 1 मार्च, 1983
जन्म स्थान : गांव कांगाथेइ, जिला चुराचांदपुर, मणिपुर
वर्तमान पता : ए -112, जोन- 2 , नेशनल गेम्स विलेज, लांगोल, एम सी मैरी कॉम रोड़, जिला इम्फाल वेस्ट, मणिपुर- 795004
email : mary.kom@sansad.nic.in
पिता : एम टोन्पा कॉम
माता : एम अखाम कॉम
पति : कारॉन्ग ओन्लर कॉम (फुटबॉलर)
विवाह तिथि : 12 मार्च, 2005
जीवन परिचय - आभूषणों की भूमि यानि मणिपुर. देश के सुदूर उत्तरपूर्वी छोर पर स्थित और पहाड़ियों से घिरा हुआ राज्य मणिपुर. प्राकृतिक छटा से भरपूर इस खूबसूरत मणिपुर में वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 7,41,141 थी, जिसमें मात्र 2% यानि 14,602 कॉम ट्राइबल्स थे. इसी कॉम रेम जनजातिय परिवार में जन्म हुआ एम सी मैरी कॉम का.
मैग्नीफिसेन्ट मैरी यानि शानदार मैरी के नाम से विख्यात
मैंगते चंग्नेइजैंग मैरी कॉम उर्फ एम सी मैरी कॉम के पिता पेशे से किसान थे. उनकी भी स्पोर्ट्स में रुचि थी, वे स्वयं पहलवान बनना चाहते थे और इसीलिए उनकी आंखें मैरी कॉम में एक स्पोर्ट्सपर्सन को ढूंढ़ती थी. तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी मैरी कॉम के भाई का नाम खुपरेंग एवं बहन का नाम किन्ड़ी है. मैरी कॉम ने मणिपुर की राजधानी इम्फाल से लगभग 45 किमी पर अवस्थित मोइरांग के लोकतक क्रिश्चियन मॉडल स्कूल में कक्षा 6 तक और सेंट जेवियर स्कूल में कक्षा 8 तक पढ़ाई की. उनकी आगे की पढाई आदिमजाति हाईस्कूल, इम्फाल में हुई और उन्होनें मैट्रिक की परीक्षा राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय से उत्तीर्ण की. उनका ग्रेजुएशन चुराचांदपुर कॉलेज से हुआ.
वर्ष 2005 में जब वे अपने कैरियर के शिखर पर थी, तब उन्होनें विवाह किया, एक माँ बनने के बाद वे फिर रिंग में लौटी और मिसाल प्रस्तुत करते हुए शानदार प्रदर्शन किया. उनके तीन बेटे और एक बेटी हैं चुंग और नेई (जुड़वां 2007) , प्रिंस (2013) और मर्लियन (2018). मैरी कॉम का परिवार क्रिश्चियन धर्म का अनुयायी है.
योगदान - मैरी कॉम के पिता उन्हें एथलीट बनाना चाहते थे. अपने स्कूल की खेल प्रतियोगिताओं में मैरी भरपूर रुचि लिया करती थी. वे वॉलीबॉल, फुटबॉल और एथलेटिक्स सहित सभी प्रकार के खेलों में भाग लिया करती.
वर्ष 1998, एशियन गेम्स में मणिपुर के डिंग्को सिंह ने बाक्सिंग में गोल्ड मैडल जीत कर खेल के उत्सुक जिन युवाओं को बाक्सिंग रिंग की ओर आकर्षित किया, उन्हीं में एक थी मैरी कॉम. मात्र 15 वर्ष की आयु में मैरी अपने पहले कोच के० कोसाना मेइतेइ से बॉक्सिंग के बेसिक रूल्स सीखने लगी. प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतू उन्होनें
गांव छोड़ दिया और नेशनल स्पोर्ट्स एकेडमी, इम्फाल चली गई. जहाँ वे खुमान लम्पक स्टेडियम में कोच एम० नरजीत सिंह के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित होने लगी.
वर्ष 2000, मैरी मात्र 17 वर्ष की थी, जब उन्होनें स्टेट एमेच्योर बॉक्सिंग चैम्पियनशिप जीत ली और तभी अखबार में छपी उनकी फोटो को देख उनके पिता को पता चला कि उनकी बेटी एथलीट नहीं मुक्केबाज बनने की दिशा की ओर अग्रसर है. पिता इस बात को लेकर चिन्तित थे कि मुक्केबाजी से लड़की के चेहरे पर चोट के दाग हो जाएंगे तो विवाह कैसे होगा ? यह था बेटी के प्रति पिता का प्यार ! उसी वर्ष उन्होनें पश्चिम बंगाल में आयोजित 7 वीं ईस्ट इंडिया महिला बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में भी स्वर्ण पदक जीता.
वर्ष 2001, दिनांक 12 फरवरी, चेन्नई में आयोजित महिला राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में मैरी कॉम ने गोल्ड जीतकर अपने भविष्य के सारे द्वार खोल लिए.
इसी वर्ष मैरी को यूएसए में आयोजित एआईबीए वीमेन्स वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशीप में भाग लेने का अवसर मिला और उन्होनें 48 किग्रा श्रेणी में शानदार प्रदर्शन करते हुए सिल्वर मैडल जीत लिया.
वर्ष 2002, टर्की में आयोजित एआईबीए वीमेन्स वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशीप में 45 किग्रा श्रेणी में मैरी का अदभुत प्रदर्शन रहा और वे गोल्ड मैडल जीतकर विश्वविजेता बन गईं. उसी वर्ष हंगरी में आयोजित विच कप में और नई दिल्ली में आयोजित महिला राष्ट्रीय मुक्केबाजी चैम्पियनशिप भी मैरी ने गोल्ड जीता.
वर्ष 2003, हिसार में आयोजित एशियन वीमेन्स चैम्पियनशीप में 46 किग्रा श्रेणी में मैरी प्रथम स्थान पर रहीं और गोल्ड मैडल जीता.
वर्ष 2004, नार्वे में आयोजित वीमेन्स वर्ल्ड कप के 41 किग्रा में मैरी कॉम ने उम्दा प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मैडल जीता.
वर्ष 2005, रूस में आयोजित एआईबीए वीमेन्स वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में 46 किग्रा श्रेणी में मैरी ने देश को दूसरी बार गोल्ड दिलवा कर विश्वविजेता बनी. इसी वर्ष उन्होनें ताईवान में आयोजित एशियन वीमेन्स चैम्पियनशिप में भी गोल्ड जीता.
वर्ष 2006, नई दिल्ली में आयोजित एआईबीए वीमेन्स वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में 46 किग्रा श्रेणी में मैरी ने भारत का मान बढ़ाते हुए फिर गोल्ड मैडल जीत लिया और तीसरी बार विश्वविजेता बनी. उस वर्ष उन्होनें डेनमार्क में वीनस वीमेन्स बॉक्स कप में प्रथम स्थान प्राप्त किया.
वर्ष 2008, चाईना में आयोजित एआईबीए वीमेन्स वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में 46 किग्रा श्रेणी में मैरी ने फिर एक बार गोल्ड मैडल जीत लिया और चौथी बार विश्वविजेता बनी. इसी वर्ष गोवाहाटी में आयोजित एशियन वीमेन्स चैम्पियनशिप में वे दूसरे स्थान पर रहीं और सिल्वर मैडल जीता.
वर्ष 2009, वियतनाम में आयोजित एशियन इन्डोर गेम्स के 46 किग्रा श्रेणी में शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड जीता.
वर्ष 2010, बर्बडॉस में आयोजित एआईबीए वीमेन्स वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में 48 किग्रा श्रेणी में मैरी ने अपना जलवा बरकरार रखते हुए गोल्ड झटक लिया और पांचवी बार विश्वविजेता का खिताब जीता. इसी वर्ष कजाकिस्तान में आयोजित एशियन वीमेन्स चैम्पियनशिप में 46 किग्रा श्रेणी में उन्होनें गोल्ड मैडल और चाईना में आयोजित एशियन गेम्स में 51 किग्रा श्रेणी में कांस्य पदक जीता.
वर्ष 2011, चाईना में आयोजित एशियन वीमेन्स कप में 48 किग्रा श्रेणी में मैरी ने गोल्ड मैडल जीता.
वर्ष 2012, मंगोलिया में आयोजित एशियन वीमेन्स चैम्पियनशिप में 41 किग्रा श्रेणी में उन्होनें गोल्ड मैडल जीता.
वर्ष 2012, लंदन, यूके में आयोजित समर ओलम्पिक में 51 किग्रा श्रेणी में मैरी कॉम ने कांस्य पदक लाकर सबको चौंका दिया.
वर्ष 2014, साउथ कोरिया में आयोजित एशियन गेम्स में मैरी 51 किग्रा श्रेणी में प्रथम स्थान पर रही.
वर्ष 2017, वियतनाम में आयोजित एशियन वीमेन्स चैम्पियनशिप में 48 किग्रा श्रेणी में मैरी कॉम ने गोल्ड मैडल जीता.
वर्ष 2018, नई दिल्ली में आयोजित एआईबीए वीमेन्स वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में 45- 48 किग्रा श्रेणी में मैरी ने फिर गोल्ड जीता और वे छठी बार विश्वविजेता बनी. इसी वर्ष आस्ट्रेलिया में आयोजित कामनवेल्थ गेम्स में भी उन्होनें ही गोल्ड जीता.
वर्ष 2019, रूस में आयोजित एआईबीए वीमेन्स वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप में 51 किग्रा श्रेणी में मैरी तीसरे स्थान पर रहीं, उन्हें कांस्य पदक मिला.
खेल प्रतिस्पर्धाओं में खिलाड़ियों के खानपान व आवास की अव्यवस्था एवं उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहार के खिलाफ मैरी कॉम खुल कर आवाज उठाती रही. उनके लगातार प्रयासों के कारण कई बदलाव भी हुए. वे कहती हैं - "पहले मैडल पाने के लिए जीवन दाँव पर लगाओ, फिर जीवन जीने के लिए मैडल दाँव पर लगाओ, ऐसी व्यवस्था को बदलना जरूरी है. "
मणिपुर में ऐम्च्योर बॉक्सिंग खेल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मैरी कॉम एवं उनके पति कारॉन्ग ओन्लर कॉम द्वारा वर्ष 2006 में "मैरी कॉम रिजिनल बॉक्सिंग फाऊंडेशन" की स्थापना की गई, एनजीओ के रूप में निबंधित इस फाउंडेशन की पंजीकरण संख्या 2477/2006 है. यहाँ गरीब प्रशिक्षुओं को निःशुल्क ट्रेनिंग, भोजन व आवास की सुविधा दी जाती है. फाउंडेशन मणिपुर एमेच्योर बॉक्सिंग एसोसिएशन (एमएबीए) से भी संबद्ध है. मणिपुर सरकार ने 2013 में फाउंडेशन को इम्फाल खेल गांव में 3.30 एकड़ भूमि आवंटित की है. युवा मामले और खेल मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय खेल विकास कोष (NSDF) के द्वारा वहाँ व्यायामशाला और आउटडोर बॉक्सिंग हॉल का निर्माण करवाया गया है. भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) द्वारा कोचिंग सहायता प्रदान की जाती है. वहाँ 2 बॉक्सिंग रिंग, 50 लड़कों और 50 लड़कियों के लिए अलग अलग हॉस्टल, क्वार्टर, डाइनिंग हॉल इत्यादि बुनियादी ढांचे की स्थापना की जा रही है.
https://marykomfoundation.org/
पशु हित में कार्यरत पेटा इण्डिया के अभियान का समर्थन करते हुए मैरी कॉम कहती हैं कि - "जानवरों के साथ क्रूरता बन्द करने का सबसे अच्छा तरीका है, युवाओं को करुणा सिखाना."
कलर्स टीवी, इसीपीएन स्टार स्पोर्ट्स, एम टीवी, यूट्यूब में प्रदर्शित होने वाले सुपरफाइट लीग में मैरी कॉम ब्राण्ड एम्बेसडर की भूमिका में थीं.
सांसद - वर्तमान में राज्यसभा में 245 सदस्य हैं, जिनमे 12 सदस्य भारत के राष्ट्रपति के द्वारा नामांकित होते हैं, इन्हें 'नामित सदस्य' कहा जाता है. खेल के क्षेत्र में मैरी कॉम के अतुलनीय योगदान को देखते हुए दिनांक 25 अप्रेल 2016 को महामहिम राष्ट्रपति द्वारा उन्हें उच्च सदन राज्यसभा के लिए नामित किया गया है.
सम्मान व पुरस्कार - खेल के मैदान में भारत के राष्ट्र गान व झण्डे को विश्वभर में सम्मान दिलाने वाली 6 बार की विश्वविजेता महिला मुक्केबाज एम सी मैरी कॉम को वर्ष 2006 में पद्मश्री, वर्ष 2013 में पद्म भूषण एवं वर्ष 2020 पद्म विभूषण से अलंकृत किया गया. खेल के क्षेत्र में उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2009 में राजीव गाँधी खेल रत्न अवार्ड प्रदान किया गया. देश की शानदार मुक्केबाज मैरी कॉम को वर्ष 2003 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया. इंटरनेशल बॉक्सिंग एसोसिएशन द्वारा मैरी कॉम को एआईबीए वीमेन्स वर्ल्ड बॉक्सिंग चैम्पियनशिप 2009 एवं 2016 का ब्राण्ड एम्बेसडर मनोनीत किया गया. एआईबीए द्वारा उन्हें 2016 एवं 2017 में लीजेंड अवार्ड से सम्मानित किया गया. वर्ल्ड ओलम्पियंस एसोशिएसन द्वारा 2016 में गठित ओलम्पियंस फॉर लाइफ प्रोजेक्ट की सदस्य हैं मैरी कॉम. लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स 2007 - पीपुल्स ऑफ द ईयर में मैरी कॉम का नाम अंकित किया गया. वर्ष 2008 में उन्हें पेप्सी एम टीवी द्वारा यूथ आइकॉन की उपाधि दी गई. सहारा स्पोर्ट्स अवार्ड्स 2010 के तहत उन्हें स्पोर्ट्स वीमेन ऑफ द ईयर का खिताब दिया गया.
खेल की रिंग में उनकी अदभुत योग्यता को देखते हुए 29 मार्च, 2016 को मेघालय की नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी द्वारा मैरी कॉम को डॉक्टरेट (डीलिट्) की मानद उपाधि प्रदान की गई. दिनांक 14 जनवरी, 2019 को असम के काजीरंगा यूनिवर्सिटी द्वारा मैरी को डीफील की मानद उपाधि प्रदान की गई.
वर्ष 2012 में जब उन्होनें ओलम्पिक में कांस्य पदक जीत कर देश का मान बढ़ाया, तो कई राज्य सरकारों व संगठनों ने उन्हें लाखों रुपए की राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की. मणिपुर राज्य सरकार (रुपए 50 लाख), राजस्थान सरकार (रुपए 25 लाख), असम सरकार (रुपए 20 लाख), अरुणाचल प्रदेश सरकार (रुपए 10 लाख), जनजातीय मंत्रालय, भारत सरकार (रुपए 10 लाख), पूर्वोत्तर परिषद (रुपए 40 लाख).
आत्मकथा - बॉक्सिंग रिंग में जीत के लिए अथक संघर्ष और जुनून की कहानी कहती मैरी कॉम की आत्मकथा "अनब्रेकेबल" एक पठनीय पुस्तक है. दिनांक 27 नवम्बर 2013 को हार्पर कॉलिन्स द्वारा 160 पृष्ठ की यह पुस्तक सहायक लेखिका ड़ीना सेरटो द्वारा लिखी गई है. अमेजॉन पर उपलब्ध इस पुस्तक की लिंक -
https://www.amazon.in/Unbreakable-Mary-Kom/dp/9351160092
बायोग्राफिकल स्पोर्ट्स फिल्म - दिनांक 5 सितंबर 2014 को मैरी कॉम की जीवनी पर आधारित हिन्दी फिल्म रिलीज़ हुई. निर्देशक ओमंग कुमार द्वारा निर्देशित एवं संजय लीला भंसाली द्वारा निर्मित इस फिल्म में प्रियंका चोपड़ा ने मैरी की भूमिका अदा की है.
( पुस्तक शिखर को छूते ट्राइबल्स भाग 2 से )
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