Wednesday, 4 April 2018

कमबख्त वो

Co- education मॆं std 11 मॆं पढ़ने वाला एक लड़का मन ही मन अपनी Classmate कॊ चाहता था  , पर  इज़हार नहीँ कर पाता , उसके मन मॆं अपनी प्रेयसी के प्रति उमड़ने वाले विचारों पर कुछ पंक्तियां -

आजकल किताबों मॆं भी वो नजर आया करती है ,
कलम भी मेरी उसी का नाम लिख जाया करती है ।

और बैठ जाती है जिस दिन बगल मॆं वो मेरे ,
हाय ,मेरी तो साँसें ही अटक जाया करती है ॥

रिंग टोन भी उसकी मुझको बहुत भाया करती है ,
मेरी मोबाईल के स्क्रीन पर भी वही छाया करती है ।

और अपने हाथों से छू लेती है हाथ जिस दिन मेरे  ,
हाय वो हाथ देखते देखते मेरी रात बीत जाया करती है ॥

कि आँखों मॆं बड़ी गहराई है उसके ,
हर अदा मानो अंगड़ाई है उसके ।

बाते करते करते कभी होठों कॊ समीप ले आया करती है ,
कमबख्त बिना पिये मुझे चढ़ सी जाया करती है ॥

कभी शोख चंचल चतुर चपला लगती है ,
कभी सीधी सादी भोली अबला लगती है ।

और केन्टिन मॆं पी लेती है कभी कॉफी मेरे साथ ,
कमीने दोस्तों पर मेरे बिजली गिर जाया करती है ॥

वो सुंदर सलोनी प्यारी सी मूरत है,
मानो उसके रुप मॆं स्वयं कुदरत है ।

बाईक पर जब कभी वो सिमट जाया करती है ,
कमबख्त आँखे मेरी रास्ता भूल जाया करती है ॥

पहन कर आती है जिस दिन स्कर्ट वो ,
पूरे कॉलेज मॆं अकेले कहर ढाया करती है ।

सरस्वती पूजा के दिन जब लिपटकर साड़ी मॆं आया करती है ,
हाय,मुझको तो उस दिन उसमॆं ही देवी दिख जाया करती है ॥

संदीप मुरारका
दिनांक 2.11.2016 बुधवार
विक्रम सम्वत 2073, कार्तिक मास , शुक्ल पक्ष तृतीया

Tuesday, 23 January 2018

अहंकार सिंहासन का

झारखंड विधानसभा सदस्यों को समर्पित कुछ पंक्तियाँ ,
माँ शारदे , उन बेचारों को बोलने की शक्ति दे -

सभा में लगानी थी कुर्सियाँ जितनी ,
किसी के नाम पर मँगवा ली उतनी ।

आदत से वो  फिर भी बाज ना आये,
पडो़सी के घर से छह स्टूल चुरा लाये ।

हाय ! फिर भी उनका मंच अधूरा ,
वर्षों बाद भी वे पूरा सजा ना पाये ।

या तो नाकाबिलॉ की अर्धशतक भीड़ वहाँ ,
या राजनीति में कु-नीत के विवश शिकार यहाँ ।

हैरानी परेशानी दुर्भाग्य है , सब मौन चुप हैं ,
बारहवें* के लिये नहीं कहीं कोई आवाज है ।

जो खुद के लिये नहीं लड़ सकते** ,
वो , औरों के लिये क्य़ा लड़ेगे ?

उठो चन्द्रगुप्त, सत्तासीन को पुनः गिनती पढ़ाओ ,
तोड़ो अहंकार सिंहासन का, नया इतिहास रचाओ ।

Date - 22/1/2018

* मंत्री पद जो रिक्त है ।
** झारखंड के भाजपा, आजसू व सरकार समर्थक माननीय

Thursday, 26 October 2017

नारी की पीड़ा

नारी की पीड़ा समझने के लिये ,
स्वयं नारी बनना पड़ता है ।

भगवती लक्ष्मी को भी सीता बन कर ,
धरती पर उतरना पड़ता है ।

दो साल की नव विवाहिता को वनवास,
जँगल में भटकना पड़ता है ।

भगवान श्रीराम की पत्नी होने पर भी ,
राक्षस के घर रहना पड़ता है ।

सती साध्वियों को भी इस धरती पर ,
अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता है ।

हर परीक्षा, गवाह , सबूतों के बाद भी ,
घर से निकलना पड़ता है ।

और फिर , फटती है छाती नारी की जब ,
धरती को भी फटना पड़ता है ।

नारी की पीड़ा समझने के लिये ,
स्वयं नारी बनना पड़ता है ।

(डॉ नूपुर तलवार को अपनी ही बेटी 'आरुषि' की हत्या के आरोप में पहले दंडित , 52 माह जेल एवं समाजिक अपमान की पीड़ा के सहन कर लेने के बाद "निर्दोष" करार दिये जाने एवं बरी किये जाने पर उस निर्दोष पीड़ित नारी को समर्पित पँक्तियाँ )

संदीप मुरारका
दिनांक 26. 10.2017 गुरुवार
कार्तिक शुक्ला षष्ठी विक्रम संवत् 2074

Monday, 2 October 2017

हिंदू धर्म और भारत


आओ प्रारंभ करें वार्ता , इस देश के पुरातन धर्म की ,
आओ प्रारंभ करें यात्रा , भारतवर्ष के हर राज्य की ।

उतराखंड , ओडिशा , तमिलनाडु और गुजरात ,
करें भ्रमण जो , हो उसे चारों धाम के दर्शन प्राप्त ।

झारखंड , महाराष्ट्र, आँध्रा , उत्तर औ मध्य प्रदेश,
द्वादश ज्योर्तिलिंग हैं बसे भिन्न भिन्न आठ प्रदेश ।

माँ के शक्तिपीठ बने हैं काश्मीर की घाटी में ,
त्रिपुरा , बंगाल, पंजाब, हिमाचल की वादी में ।

असम में , हरियाणा में , राजस्थान में , बिहार में ,
मेघालय व शंकराचार्य स्थापित पीठ कर्नाटक में ।

केरल में चलता पद्मनाभस्वामी भगवान विष्णु का राज ,
देवपानी देवी नागालैंड में, मणिपुर गोविंद जी का प्रान्त ।

छतीसगढ़ में विराजती माँ अम्बिका महामाया गौरी ,
हर राज्य की सीमा को बांधती धर्म की अटूट डोरी ।

सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल, गोवा या तेलंगान ,
सभी उनतीस राज्यों में फैला हिंदू धर्म का यशोगान ।

संदीप मुरारका
दिनांक 2 अक्टूबर'17 सोमवार
आश्विन शुक्ला द्वादशी विक्रम संवत् 2074

Tuesday, 25 July 2017

शेर

हम शाल ओढ़ते उढाते रह गये ।
वो बिना कफ़न बाढ़ में बह गये ॥

दिनांक 25 जुलाई 2017 जमशेदपुर की बाढ़ और समाजसेवकों की अवस्था पर टिप्पणी शेर के रुप में

संदीप मुरारका

Sunday, 23 July 2017

काला कोट

खेतों को लूटने से बचाता है काला कोट
गरीबों को न्याय दिलाता है काला कोट ।

कहीँ हाथ उठाने पे भी सलाखों के पीछे पहुँचाता,
कहीँ फुटपाथ पे सोये गरीब के हत्यारे को बचाता,१
काला कोट ।

कहीँ सिक्के चुराने वाले को हथकड़ी लगवाता ,
कहीँ करोड़ों के अपराधी को भी विदेश भगाता ,२
काला कोट ।

कहीँ विधवा को भी उसका हक दिलवाता ,
कहीँ निर्भया के बलात्कारी को बचा लाता ,३
काला कोट ।

कहीँ झोपड़ियों में बिजली चोर को सजा दिलाता,
कहीँ करोड़ों के कर चोरों को बाइज्ज़त बरी कराता,४
काला कोट

कभी बरी अपराधी को खींच कोर्ट में ले आता ,५
तो कभी अपराधी को साफ बचा कर ले जाता , ६
काला कोट ।

किसी को पेरौल पे गाहे बेगाहे बाहर ले आता , ७
किसी को एक जमानतदार भी नहीँ दिला पाता ८
काला कोट ।

डाक्टर इंजीनियर आई ए एस के दस्तावेजों पर ,
दस दस रुपये ले करवाता अनुप्रमाणित हस्ताक्षर,९
काला कोट ।

कोई टाईपिस्ट को भी ससमय पैसे नहीँ चुका पाता,
कोई मिनट के हिसाब से क्लाइंट का बिल बनाता , १०
काला कोट ।

अधिवक्ता मित्रों को पूरे आदर के साथ समर्पित -

संदीप मुरारका
दिनांक 17 जुलाई सोमवार
विक्रम सम्वत 2074 श्रावण मास 8 कृष्ण

१सलमान खान
२विजय माल्या , ललित मोदी
३नाबालिग किशोर
४ अहमदाबाद के आयकर मामले Jag Heet, Jasubhai, Liverpool, Dharendra, Prafull Akhani
५ जेसिका हत्यारा मनु
६ सुनन्दा पुष्कर थरूर कांड
७ संजय दत्त
८ गरीब जिनका कोई रिश्तेदार ना हो
९ नोटरी पब्लिक
१० नरीमन, सिंघवी , जेटली ,जेठमलानी , साल्वे

Sunday, 16 July 2017

लवकुश

सजा अयोध्या नगरी का भव्य राजदरबार ,
बैठी तीनों मातायें , गुरुजन , राजा जनक ,
मित्र सुग्रीव , भ्राता लक्ष्मण,भरत, शत्रुघ्न
भक्त हनुमान और जनता हजारों हजार ।

श्वेत चँवर,स्वर्ण सिंहासन, देदिप्यमान
कुकुत्स्थकूल भूषण , दशरथ नन्दन ,
रघुकूल तिलक, वीर धनुर्धारी ऐश्वर्यवान
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम विराजमान ।

मुनीकुमारों का वेष , हाथों में वीणा ,
जिह्वा पे बैठी मानो माँ शारदे स्वयं ,
कोयल से मीठे स्वर में गाते बालक ,
महर्षि वाल्मीकि का रचा महाकाव्य।

राम का दरबार , राम की गाथा ,
सबकी आँखे नम, चेहरा मौन है,
कौंध रहा सवाल सबके ह्रदय में ,
आखिर ये दोनों गायक कौन है ?

जानकी जनकनंदिनी, दशरथपुत्रवधू ,
भगवती सीता की कथा जब सुनाई ,
पतिव्रता सतीसाध्वी की भूल क्या थी ,
राम की सभा भी तय नहीँ कर पायी ।

सुन सभा में सारे लोग जड़ हो गये ,
रुंध गये गले, बहने लगी अश्रुधारा ,
शिष्य वाल्मीकि के, माँ है जानकी
पिता श्रीराम , लवकुश नाम हमारा ।

गुरुजनों के हाथ आशिष देने लगे ,
दादी कौशल्या के होंठ फ़ड़कने लगे ,
चाचा हुये सारे ह्रदय से बहुत प्रसन्न ,
हनुमान ने किया मन ही मन वंदन ।

छोड़ सिंहासन , राजा राम खड़े हुये ,
सब पिता राम की ओर देखने लगे ,
कि सोचा सभी ने , अब दौडेगें प्रभु ,
और अपने पुत्रों को गले से लगायेंगे ।

राम तो राजा ठहरे ,पहले राजधर्म निभायेंगे ,
कड़कने लगी बिजली , फट गया आसमान ,
जब माँगा श्रीरामचंद्र ने पुत्र होने का प्रमाण ?
लवकुश की गाथा सिखाती जीवन नहीँ आसान ॥

संदीप मुरारका
दिनांक 16 जुलाई'17 रविवार
श्रावण मास कृष्ण 7 विक्रम सवंत 2074