Sunday, 3 June 2018

वर्तमान राजनीति

मतगणना केंद्र ,
और उसके बाहर बने ,
प्रत्याशियों के शामियाने ।

भीड़भाड़ चहलपहल ,
रहरहकर कभी किसी टेंट ,
कभी किसी टेंट से आते नारों का शोर ।

हर एक घंटे पर ,
एक राउंड का रिजल्ट आता ,
और बाहर एक टेंट खाली हो जाता ।

तीन बजने चले थे ,
सारे टेंट खाली पड़े थे ,
केवल दो दलों के ही लोग बचे थे ।

दोनों पार्टियों में
सौ वोटों का था अंतर ,
कोई भी जीत सकता था ।

ताशा पार्टी , गुलाल ,
पटाखों , खुली जीप की व्यवस्था ,
दोनों दलों की ओर से की जा चुकी थी ।

वहीं , कुछ दूर पर ,
एक कार में बैठकर ,
एक युवक भी इंतजार में था ।

आगे सीट पर फूलमाला ,
पीछे सीट पर दोनों दल के ,
झण्डे व दुपट्टे गाड़ी में रखे थे ।

इतने में विजय घोष हुआ ,
जीत का सर्टिफिकेट प्राप्त कर ,
जुलूस विधायक जी को लेकर आ रहा ।

मौके की तलाश में ,
कार वाला वह युवक ,
दुपट्टा पहन फूलमाला ले तैयार खड़ा ।

देख उसकी लम्बी गाड़ी ,
अपनी पार्टी का झण्डा दुपट्टा ,
जुलूस स्वागत करवाने को रुका ।

गले में माला पहनाते ,
विधायक जी के पाँव छूते ,
दूसरे दिन अखबार में यही तस्वीर छपी ।

सुना है ,
युवक विधायक प्रतिनिधि है ,
यही राजनीति की असल स्थिति है ।

संदीप मुरारका
रविवार 3 जून'18
ज्येष्ठ कृष्ण 5 विक्रम सम्वत् 2075

Saturday, 28 April 2018

जी ली गई जिंदगी


आती हो चित्रकारी तो तुझे कैनवास पर उकेर दूँ ,
आती हो कविता तो तुझे सुंदर शब्दों में बदल दूँ ॥

तुम रंग नहीं मेरे लिये , कि लाल हरे पीले नीले ,
गुलाबी भूरे काले, सीमित रंगों में तुम्हें समेट सकूं ।

तुम वर्णमाला के अक्षर भी तो नहीं हो ,
कि तुम्हें स्वर व्यंजन में विभाजित कर दूँ ।

तुम खुशी हो पैदा होने की , तुम रुदन हो  भूख की ,
तुम खुशी हो खिलौने की , तुम चिंता हो परीक्षा की ।

फूटे घुटने , फटी पैंट , खरोंच हो तुम ।
लूडो , पतंग , कैरम और क्रिकेट हो ।

तुम जिद हो एक अदद साईकिल की ,
तुम गर्ल फ्रेंड के गिफ्ट की टेंशन हो ।

तुम कॉलेज की बंक की गई क्लास हो ,
तुम बाईक में बैठ घूमने वाली दोस्त हो ।

तुम कम्पीटीशन इग्जाम की असफलता हो ,
जो ना मिली, उस नौकरी का अफसोस हो ।

बिजनेस का स्ट्रगल हो यार तुम ,
उधार पर सुने ताने हो जान तुम ।

मिली हर छोटी मोटी सफलता तुम ही तो हो ,
और हर बड़ी असफलता भी तो तुम ही हो ।

दर्द हो तुम , अपमान हो तुम , टूटे सपने हो ,
मिला हर सम्मान और प्यार भी तुम ही हो ।

दुःख में निकला हुआ हर आँसू तुम हो ,
मस्ती में भरी मुस्कान भी तो तुम ही हो ।

तुम उम्मीद हो , तुम सफर हो , तुम गम हो ,
लिख सकूँ जितना तुमको उतना ही कम हो ।

अरे मेरी जान , जनेमन, जानेजीगर ,जानेजहाँ ,
तुम साया हो मेरा , मेरी जी ली गई जिंदगी हो ॥

संदीप मुरारका
दिनांक 28 अप्रैल'18 शनिवार
वैशाख शुक्ल 13 विक्रम सम्वत ' 2075

आज मेरे दोस्त अमित -रितु रुँगटा की शादी की 19वीं वर्षगाँठ है , उसके घर पर कीर्तन का आयोजन था , अपन ठहरे भजन कीर्तन से दूरी वाले , सो वहाँ बैठे बैठे लिखी गई ये पंक्तियों - अमित तेरे दोसा और गोल्गप्पो के नाम । जियो मेरे दोस्त , बनी रहे तुम दोनों की जोड़ी । Love you.

Wednesday, 4 April 2018

कमबख्त वो

Co- education मॆं std 11 मॆं पढ़ने वाला एक लड़का मन ही मन अपनी Classmate कॊ चाहता था  , पर  इज़हार नहीँ कर पाता , उसके मन मॆं अपनी प्रेयसी के प्रति उमड़ने वाले विचारों पर कुछ पंक्तियां -

आजकल किताबों मॆं भी वो नजर आया करती है ,
कलम भी मेरी उसी का नाम लिख जाया करती है ।

और बैठ जाती है जिस दिन बगल मॆं वो मेरे ,
हाय ,मेरी तो साँसें ही अटक जाया करती है ॥

रिंग टोन भी उसकी मुझको बहुत भाया करती है ,
मेरी मोबाईल के स्क्रीन पर भी वही छाया करती है ।

और अपने हाथों से छू लेती है हाथ जिस दिन मेरे  ,
हाय वो हाथ देखते देखते मेरी रात बीत जाया करती है ॥

कि आँखों मॆं बड़ी गहराई है उसके ,
हर अदा मानो अंगड़ाई है उसके ।

बाते करते करते कभी होठों कॊ समीप ले आया करती है ,
कमबख्त बिना पिये मुझे चढ़ सी जाया करती है ॥

कभी शोख चंचल चतुर चपला लगती है ,
कभी सीधी सादी भोली अबला लगती है ।

और केन्टिन मॆं पी लेती है कभी कॉफी मेरे साथ ,
कमीने दोस्तों पर मेरे बिजली गिर जाया करती है ॥

वो सुंदर सलोनी प्यारी सी मूरत है,
मानो उसके रुप मॆं स्वयं कुदरत है ।

बाईक पर जब कभी वो सिमट जाया करती है ,
कमबख्त आँखे मेरी रास्ता भूल जाया करती है ॥

पहन कर आती है जिस दिन स्कर्ट वो ,
पूरे कॉलेज मॆं अकेले कहर ढाया करती है ।

सरस्वती पूजा के दिन जब लिपटकर साड़ी मॆं आया करती है ,
हाय,मुझको तो उस दिन उसमॆं ही देवी दिख जाया करती है ॥

संदीप मुरारका
दिनांक 2.11.2016 बुधवार
विक्रम सम्वत 2073, कार्तिक मास , शुक्ल पक्ष तृतीया

Tuesday, 23 January 2018

अहंकार सिंहासन का

झारखंड विधानसभा सदस्यों को समर्पित कुछ पंक्तियाँ ,
माँ शारदे , उन बेचारों को बोलने की शक्ति दे -

सभा में लगानी थी कुर्सियाँ जितनी ,
किसी के नाम पर मँगवा ली उतनी ।

आदत से वो  फिर भी बाज ना आये,
पडो़सी के घर से छह स्टूल चुरा लाये ।

हाय ! फिर भी उनका मंच अधूरा ,
वर्षों बाद भी वे पूरा सजा ना पाये ।

या तो नाकाबिलॉ की अर्धशतक भीड़ वहाँ ,
या राजनीति में कु-नीत के विवश शिकार यहाँ ।

हैरानी परेशानी दुर्भाग्य है , सब मौन चुप हैं ,
बारहवें* के लिये नहीं कहीं कोई आवाज है ।

जो खुद के लिये नहीं लड़ सकते** ,
वो , औरों के लिये क्य़ा लड़ेगे ?

उठो चन्द्रगुप्त, सत्तासीन को पुनः गिनती पढ़ाओ ,
तोड़ो अहंकार सिंहासन का, नया इतिहास रचाओ ।

Date - 22/1/2018

* मंत्री पद जो रिक्त है ।
** झारखंड के भाजपा, आजसू व सरकार समर्थक माननीय

Thursday, 26 October 2017

नारी की पीड़ा

नारी की पीड़ा समझने के लिये ,
स्वयं नारी बनना पड़ता है ।

भगवती लक्ष्मी को भी सीता बन कर ,
धरती पर उतरना पड़ता है ।

दो साल की नव विवाहिता को वनवास,
जँगल में भटकना पड़ता है ।

भगवान श्रीराम की पत्नी होने पर भी ,
राक्षस के घर रहना पड़ता है ।

सती साध्वियों को भी इस धरती पर ,
अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ता है ।

हर परीक्षा, गवाह , सबूतों के बाद भी ,
घर से निकलना पड़ता है ।

और फिर , फटती है छाती नारी की जब ,
धरती को भी फटना पड़ता है ।

नारी की पीड़ा समझने के लिये ,
स्वयं नारी बनना पड़ता है ।

(डॉ नूपुर तलवार को अपनी ही बेटी 'आरुषि' की हत्या के आरोप में पहले दंडित , 52 माह जेल एवं समाजिक अपमान की पीड़ा के सहन कर लेने के बाद "निर्दोष" करार दिये जाने एवं बरी किये जाने पर उस निर्दोष पीड़ित नारी को समर्पित पँक्तियाँ )

संदीप मुरारका
दिनांक 26. 10.2017 गुरुवार
कार्तिक शुक्ला षष्ठी विक्रम संवत् 2074

Monday, 2 October 2017

हिंदू धर्म और भारत


आओ प्रारंभ करें वार्ता , इस देश के पुरातन धर्म की ,
आओ प्रारंभ करें यात्रा , भारतवर्ष के हर राज्य की ।

उतराखंड , ओडिशा , तमिलनाडु और गुजरात ,
करें भ्रमण जो , हो उसे चारों धाम के दर्शन प्राप्त ।

झारखंड , महाराष्ट्र, आँध्रा , उत्तर औ मध्य प्रदेश,
द्वादश ज्योर्तिलिंग हैं बसे भिन्न भिन्न आठ प्रदेश ।

माँ के शक्तिपीठ बने हैं काश्मीर की घाटी में ,
त्रिपुरा , बंगाल, पंजाब, हिमाचल की वादी में ।

असम में , हरियाणा में , राजस्थान में , बिहार में ,
मेघालय व शंकराचार्य स्थापित पीठ कर्नाटक में ।

केरल में चलता पद्मनाभस्वामी भगवान विष्णु का राज ,
देवपानी देवी नागालैंड में, मणिपुर गोविंद जी का प्रान्त ।

छतीसगढ़ में विराजती माँ अम्बिका महामाया गौरी ,
हर राज्य की सीमा को बांधती धर्म की अटूट डोरी ।

सिक्किम, मिजोरम, अरुणाचल, गोवा या तेलंगान ,
सभी उनतीस राज्यों में फैला हिंदू धर्म का यशोगान ।

संदीप मुरारका
दिनांक 2 अक्टूबर'17 सोमवार
आश्विन शुक्ला द्वादशी विक्रम संवत् 2074

Tuesday, 25 July 2017

शेर

हम शाल ओढ़ते उढाते रह गये ।
वो बिना कफ़न बाढ़ में बह गये ॥

दिनांक 25 जुलाई 2017 जमशेदपुर की बाढ़ और समाजसेवकों की अवस्था पर टिप्पणी शेर के रुप में

संदीप मुरारका