Co- education मॆं std 11 मॆं पढ़ने वाला एक लड़का मन ही मन अपनी Classmate कॊ चाहता था , पर इज़हार नहीँ कर पाता , उसके मन मॆं अपनी प्रेयसी के प्रति उमड़ने वाले विचारों पर कुछ पंक्तियां -
आजकल किताबों मॆं भी वो नजर आया करती है ,
कलम भी मेरी उसी का नाम लिख जाया करती है ।
और बैठ जाती है जिस दिन बगल मॆं वो मेरे ,
हाय ,मेरी तो साँसें ही अटक जाया करती है ॥
रिंग टोन भी उसकी मुझको बहुत भाया करती है ,
मेरी मोबाईल के स्क्रीन पर भी वही छाया करती है ।
और अपने हाथों से छू लेती है हाथ जिस दिन मेरे ,
हाय वो हाथ देखते देखते मेरी रात बीत जाया करती है ॥
कि आँखों मॆं बड़ी गहराई है उसके ,
हर अदा मानो अंगड़ाई है उसके ।
बाते करते करते कभी होठों कॊ समीप ले आया करती है ,
कमबख्त बिना पिये मुझे चढ़ सी जाया करती है ॥
कभी शोख चंचल चतुर चपला लगती है ,
कभी सीधी सादी भोली अबला लगती है ।
और केन्टिन मॆं पी लेती है कभी कॉफी मेरे साथ ,
कमीने दोस्तों पर मेरे बिजली गिर जाया करती है ॥
वो सुंदर सलोनी प्यारी सी मूरत है,
मानो उसके रुप मॆं स्वयं कुदरत है ।
बाईक पर जब कभी वो सिमट जाया करती है ,
कमबख्त आँखे मेरी रास्ता भूल जाया करती है ॥
पहन कर आती है जिस दिन स्कर्ट वो ,
पूरे कॉलेज मॆं अकेले कहर ढाया करती है ।
सरस्वती पूजा के दिन जब लिपटकर साड़ी मॆं आया करती है ,
हाय,मुझको तो उस दिन उसमॆं ही देवी दिख जाया करती है ॥
संदीप मुरारका
दिनांक 2.11.2016 बुधवार
विक्रम सम्वत 2073, कार्तिक मास , शुक्ल पक्ष तृतीया
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