आओ करें वंदन श्री हरि के अवतार की ,
भगवान श्री विष्णु के रूपों की,आकार की ।
कराह उठी धरती जब, भक्त जब पुकार पड़े ,
तुरंत दौडे चले आये नारायण स्वयं खड़े खड़े ।
सॄष्टि की रचना करने , ब्रह्मा जब उद्धत हुए ,
"सनकादि ऋषियों" के रुप में आप प्रकट हुए ।1
दिया मोक्ष हिरण्याक्ष कॊ , पृथ्वी का उद्धार किया ,
"वराह" रुप में प्रभू श्री हरि ने दूजा अवतार लिया ।2
लोक कल्याण के लिये रुप धरा "देवर्षि श्री नारद" का ,3
"नर नारायण" रुप में किया संकल्प धर्म स्थापन का ।4
सांख्य दर्शन के प्रवर्तक हुये "कपिल" मुनी भगवान ,5
देवी अनुसूइया के गर्भ से जन्मे "दत्तात्रेय" भगवान ।6
आकूति पुत्र "यज्ञ" रुप श्री हरि ने सातवां अवतार लिया , 7
"ऋषभदेव" स्वरूप में प्रभु ने क्या क्या नहीँ सहन किया ?8
नास्तिक वेन के यहाँ "पृथु" रुप में श्री हरि अवतरित हुए ,9
प्रलय से बचाने पृथ्वी को, "मत्स्य" रुप में प्रभु प्रकट हुए ।10
"कच्छप" अवतार के रुप में प्रभु ने करवाया समुद्र मंथन,11
फ़िर प्रकट हुए भगवान "धन्वंतरि" लेकर अमृत कलशं ।12
"मोहिनी" अवतार में प्रभु ने देवताओं को कराया अमृतपान , हिरण्यकश्यपु मरे "नृसिंह" द्वारा,मिला प्रह्लाद को अभयदान ।
13 मोहिनी , 14 नृसिंह
"वामन" के आशीर्वाद से मिला राज़ सुतललोक का बलि को ,
"हयग्रीव" अवतार में श्री विष्णु रसातल से ले आये वेदों को ।
15 वामन , 16 हयग्रीव
भगवान "श्री हरि" ने ग्राह को मार गज को तार लिया,17
"परशुराम" रुप में प्रभु ने क्षत्रियों का सर्वनाश किया । 18
"महर्षि वेदव्यास" रुप में स्वयं महाभारत की रचना की , 19
ब्रह्मा की सभा में "हंस " अवतार में मोक्ष की व्याख्या दी ।20
अयोध्या में माता कौशल्या के गर्भ से जन्म लिये "श्री राम" 21
देवकी यशोदा के दुलारे मोर मुकुट वाले "कृष्ण" घनश्याम 22
बुद्ध अवतार में जीव हिंसा से दूर रहने का दिया संदेश, 23
धर्म की पुनः स्थापना को आयेंगे "कल्कि" रुप में देवेश । 24
आते रहे हैं श्री हरि , करने धरा का उद्धार व उपकार,
गौ अग्नि ब्राह्मण की हो सेवा ,लेंगे प्रभु फ़िर अवतार ॥
संदीप मुरारका
दिनांक 19 नवम्बर 2016' शनिवार
सम्वत 2073, कार्तिक कृष्ण पंचमी
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