जन्म : 1968
जन्म स्थान : जिला पश्चिमी जैंतीय़ा हिल्स, मेघालय
वर्तमान निवास : गांव मुलीहा, जिला पश्चिमी जैंतीय़ा हिल्स, मेघालय
जीवन परिचय - मेघालय के पश्चिमी जैंतीय़ा हिल्स के एक ट्राईबल परिवार में जन्मी ट्रिनिटी साइओ पेशे से स्कूल टीचर हैँ । अपने गांव की हल्दी को राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने वाली ट्रिनिटी के छः बच्चे हैँ, तीन पुत्रियाँ और तीन पुत्र । ट्रिनिटी एक शिक्षिका, कृषक, व्यवसायी, संगठनकर्ता व मजबूत नेतृत्वकर्ता है ।
योगदान - हल्दी की लगभग 133 ज्ञात किस्में हैं लेकिन सबसे अच्छी प्रजाति 'लकाडोंग हल्दी' है । पूर्वोत्तर भारत के मेघालय के जैंतिया हिल्स जिले के प्रखण्ड लास्केन सीडी के एक छोटे से लकडोंग गाँव और इसके आसपास के क्षेत्रों को छोड़कर यह हल्दी दुनिया में कहीं नहीं उगती है, इस क्षेत्र में औसत वार्षिक वर्षा 4000 मिमी होती है , वहां की मिट्टी अम्लीय, रंग में बहुत गहरी और बनावट में मध्यम से हल्की होती है।
वहाँ हल्दी की पारम्परिक खेती बहुतायत में की जाती थी, 'ट्रिनिटी साइओ' शिक्षण के अलावा इस जीविका से भी जुड़ी थी । वर्ष 2003 में उन्होने लकाड़ोंग प्रजाति की हल्दी का उत्पादन किया, मार्केट में उनकी हल्दी अद्वितीय स्वाद और सुगंध के कारण तुरन्त बिक गई , साथ ही बड़ी कम्पनियो के एजेंट्स ने उनके उत्पाद की गुणवत्ता के कारण उनको मुंहमांगी दर भी दी । ट्रिनिटी ने पाया कि उनकी आय दुगनी हो गई है, उन्होने अपनी साथी कृषकों को यह बात साझा की । अगले वर्ष कुछ और महिलाएँ उनके साथ लकाडोंग हल्दी के उत्पादन में जुट गई । धीरे धीरे उनकी हल्दी की डिमांड बढ़ने लगी और उन्हें समुचित मूल्य मिलने लगा । ट्रिनिटी ने खेती के आइडिया के साथ साथ हल्दी की पिसाई, पैकिंग व मार्केटिंग सभी जगह सहयोगी महिलाओ का साथ दिया, नतीजा उनसे जुड़ी लगभग 800 महिला किसानों की आय तीन गुणा हो चुकी है । ट्रिनिटी ने इन निरक्षर महिला कृषकों को ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन करवाने एवं सरकार से इन्हें सब्सिडी दिलवाने हेतू आवश्यक डॉक्युमेंट्स तैयार करवाने में हर कदम पर इनकी मदद की ।
उस के पूर्व स्थानीय महिलाएँ लचेन एवं दूसरी प्रजाति की हल्दी की खेती में संलग्न थीं । लकाडोंग हल्दी की विशेषता को देखते हुए बड़ी कम्पनियो ने दूसरे स्थानो पर इसकी खेती करवानी चाही किन्तु समान गुणवत्ता वाली पैदावार नहीँ हो सकी । अपने गांव की मिट्टी और जलवायु की इस विशेषता को ट्रिनिटी ने पहचाना और इसका वाणिज्यिक लाभ स्थानीय महिलाओ को दिलवाने में अपनी मह्त्ती भूमिका निभाई । पारम्परिक हल्दी की खेती मे जो बीज प्रयोग में लाए जाते थे, उसके मुकाबले लकाडोंग प्रजाति के बीज महंगे थे, स्थानीय महिला कृषकों के लिए इन्हें खरीदना सम्भव नहीँ था । तब ट्रिनिटी ने शिलांग में स्पाइस बोर्ड से सम्पर्क कर महिलाओ को वित्तीय एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध करवाई ।
हल्दी में एक विशेष तत्व पाया जाता है 'करक्यूमिन' , जो अन्य किस्म की हल्दी में मात्र 3% होता है जबकि लकाडोंग हल्दी में 7.5% पाया जाता है । ट्रिनिटी के गांव का स्वच्छ वातावरण एवं उनके खेती के तरीकों से इस हल्दी का स्वाद और भी बढ़ा क्योंकि ट्रिनिटी रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग की घोर विरोधी है । प्रयोगशाला की जाँच में पाया गया कि खाना पकाने में लकाडोंग हल्दी इस्तेमाल करने पर इसकी कम मात्रा की खपत होती है ।
गांव मदनकिनशॉ, म्यनकटूंग, रीतियांग, पिनतेई और लास्केन में लगभग 100 सेल्फ हेल्प ग्रुप के द्वारा हल्दी की व्यापक खेती व मार्केटिंग करने वाली कृषक ट्रिनिटी ने व्यापार में ईमानदारी के सिद्धांत को अपनाया । उन्होंने हल्दी की खेती करने वाली महिलाओं से लेकर खरीददार तक, सभी को हल्दी की पहचान, गुणवत्ता इत्यादि की जानकारी दी । ट्रिनिटी ने हल्दी की किस्मों के फर्क जानने की साधारण पहचान बताई जैसे कि लकाडोंग की जड़ें लंबाई में पतली, लंबी और समानांतर होती हैं जबकि अन्य किस्म की हल्दी की जड़ें मोटी होती हैं।
ट्रिनिटी ने 30.10.2016 को लेंगस्खेम स्पाइस प्रोड्यूसर इंडस्ट्रियल को-ऑपरेटिव सोसाइटी का गठन किया, जिसकी पंजीकरण संख्या जेडब्ल्यूआई/43/2015-16 है । हल्दी मिशन को आगे बढ़ाते हुए उसे लाइफ स्पाइस फेडरेशन ऑफ सेल्फ हेल्प ग्रुप, लास्केन सी ड़ी ब्लॉक से जोड़ा । फेडरेशन ने लाइफ स्पाइस नामक अपनी खुद की प्रोसेसिंग फैक्ट्री शुरू की है ।
सम्मान एवं पुरस्कार- महिला किसान 'ट्रिनिटी साइओ' को उनके द्बारा की जा रही हर्बल खेती व प्रशिक्षण के लिए वर्ष 2020 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया । भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय महिला किसान दिवस के अवसर पर15 अक्टूबर 2018 को ट्रिनिटी को 'एक्सीलेंस इन होर्टिकल्चरल' अवार्ड दिया गया था ।
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