जन्म : 16 फरवरी 1962
जन्म स्थान : बॉबेजोड़ा, जिला मयूरभंज, ओड़िशा
वर्तमान निवास : वार्ड न 9, मधुबन, पोस्ट बारीपदा, जिला मयूरभंज, ओड़िशा
पिता : राजमल माझी
माता : पुनगी माझी
जीवन परिचय - धिगिज उर्फ दमयन्ती का जन्म बारीपदा से 90 किलोमीटर दूर गांव बॉबेजोड़ा में एक ट्राइबल परिवार में हुआ था । गांव में कोई स्कूल नहीँ था पर गांव में एक शिक्षित व्यक्ति थे जो एक छोटे से शेड में बच्चों को अक्षर ज्ञान करवाया करते थे । भाई बहनों में बड़ी दमयन्ती भी वहाँ चली जाया करती और चॉक से जमीन पर आड़ी तिरछी लकीरें खींचा करती थी । एक बार उनके ताऊ बुधन माझी और ताई मनी माझी उनके घर आए, तब उनको दमयन्ती के शिक्षा के प्रति झुकाव के विषय में ज्ञात हुआ । ताऊ निःसंतान थे, वे दमयन्ती को अपने साथ देवली गांव ले आए और वहाँ के सरकारी स्कूल में दाखिला करवा दिया । उस स्कूल में अभिभावक के रूप में ताऊजी का नाम ही दर्ज है, दमयन्ती ने वहाँ तीसरी कक्षा तक की पढ़ाई की । आगे की पढ़ाई के लिए गांव से दो किलोमीटर दूर चांदीदा विद्यालय जाने लगीं, जहाँ उन्होने कक्षा चौथी और पांचवी की पढ़ाई की । आगे की शिक्षा के लिए दमयन्ती रायरंगपुर कन्या आश्रम में रहकर पढ़ने लगी । कक्षा पांचवी से हाई स्कूल तक की पढ़ाई उन्होने टीआरडब्ल्यू गर्ल्स हाई स्कूल , रायरंगपुर से करते हुए 1977 में मैट्रिक की परीक्षा पास की । उसके बाद उनके ताऊजी ने कॉलेज की पढ़ाई के लिए दमयन्ती का नामांकन भुवनेश्वर के रमादेवी वीमेंस कॉलेज में करा दिया, जहाँ वे पोस्ट मैट्रिक गर्ल्स हॉस्टल में रहती थी । गरीबी के कारण ताऊजी प्रतिमाह मात्र 40- 50 रुपए ही भेज पाते थे, जबकि मासिक खर्च 60 रुपए था । विलक्षण प्रतिभा की धनी दमयन्ती समय की पाबन्द तथा अनुशासन में रहने वाली छात्रा थी, जो हर परीक्षा में अच्छे मार्क्स लाती । दमयन्ती के पास केवल दो जोड़ी कपड़े हुआ करते थे, किन्तु वो सदैव साफ स्वच्छ रहा करती । नतीजा धीरे धीरे वो सभी शिक्षिकाओं की प्रिय बन गई, विशेषकर वार्डन व्रजेश्वरी मिश्रा उन्हें छोटी बहन सा स्नेह दिया करती थी, इसीलिए पूरी फीस ना चुका पाने पर भी कभी दमयन्ती की पढ़ाई बाधित नहीँ हुई । उन्होने 1979 में इंटरमीडिएट एवं 1981 में ओडिया ऑनर्स में स्नातक कर लिया । 1983 में उन्होने उत्कल यूनिवर्सिटी, भुवनेश्वर से एम ए की परीक्षा पास की । 1985 में संबलपुर में जूनियर रोजगार पदाधिकारी के रूप में उनका कैरियर प्रारम्भ हुआ । नौकरी के दौरान ही उन्होने कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा दी और क्लर्क सह टंकक पद पर उनकी नियुक्ति एजी ओड़िशा के कार्यालय भुवनेश्वर में हो गई । मेहनती व प्रतिभावान दमयन्ती ने ओडिशा लोक सेवा आयोग की परीक्षा भी पास कर ली । यहाँ से प्रारम्भ हुआ उनकी शिक्षा एवं साहित्य में सेवा का पहला चरण, 1987 में उनकी नियुक्ति बारीपदा के महाराजा पूर्णचंद्र कॉलेज में लेक्चरर के रूप में हो गई । 1988 में उनका विवाह साहित्यप्रेमी, नाटक लेखक एवं बैंककर्मी गंगाधर हांसदा से हुई । अपने पति के प्रोत्साहन से दमयन्ती ने 1994 में ओड़िया में एम फील की डिग्री प्राप्त की । वर्ष 1995 में उनका तबादला फूलबनी कॉलेज में हो गया, जहाँ से पुनः 2001 में बारीपदा लौटीं । फिर प्रारम्भ हुआ दमयन्ती से डॉ दमयन्ती बनने का सफर । उन्होने पीएचडी के लिए मयूरभंज की नार्थ ओड़िशा यूनिवर्सिटी में निबंधन करवाया , उनका विषय था - ' मयूरभंजा संथाल एको सामाजिक सांस्कृतिक अध्ययन ' । डॉ दमयन्ती को 2005 में पीएचडी की डिग्री प्राप्त हुई ।
साहित्यिक परिचय - स्कूल में पढ़ने के दौरान ही दमयन्ती ओड़िया व संथाली में कविताएँ लिखा करती थी । 1987 से उनकी रुचि निबंध लेखन में भी हो गई । 1990 में उनकी पहली कविता ' ओनोलिया' एवं पण्डित रघुनाथ मुर्मू पर लिखा एक निबंध पत्रिका ' फागुन कोयल ' में प्रकशित हुआ । 1994 में उनका पहला काव्य संकलन 'जीवी झरना' प्रकशित हुआ, किसी संथाल महिला साहित्यकार का पहला काव्य संकलन का श्रेय दमयन्ती को जाता है । प्रकृति और मानव जाति की विविधताओं को अपनी कविताओं में समेटने वाली दमयन्ती ने पण्डित रघुनाथ मुर्मू की जीवनी पर ओडिया में पुस्तक लिखी । कविता, निबंध, व्याकरण, जीवनी, आलोचना, संथाल इतिहास, स्तम्भ लेखन के अलावा उन्होने देवनागरी से ओड़िया व संथाली में कई अनुवाद किए । वे एक कुशल वक्ता एवं शिक्षिका के रूप में भी पहचानी जाती हैँ । ट्राइबल समुदाय में इनकी पहचान शांत विनम्र किन्तु मजबूत इरादों वाली महिला की है । संथाल शोधार्थी डॉ दमयन्ती ने 2011 में संथाली भाषा में पहली पत्रिका 'काराम डार ' का प्रकाशन प्रारम्भ किया । डॉ दमयन्ती ने ग्यारहवीं शताब्दी के विख्यात फारसी साहित्यकार उमर खय्याम की रूबाईयों का अनुवाद संथाली में किया । ओड़िया की विख्यात कविता संग्रह का संताली अनुवाद 'आड़ा रेयाग सेरमा' का प्रकाशन 2012 में हुआ । डॉ दमयन्ती ने कई प्रांतीय, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक आयोजनों, कार्यशालाओं व सेमिनारों में भाग लिया ।
वर्ष 2004 से 2007 तक डॉ दमयन्ती साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के संथाली भाषा बोर्ड की पहली संयोजक रही । वे यूपीएससी, नई दिल्ली के संथाली भाषा सिलेबस कमिटी, संबलपुर यूनिवर्सिटी के परीक्षा आयोजक बोर्ड एवं बारीपदा की नार्थ ओडिशा यूनिवर्सिटी के सिलेबस कमिटी की सदस्य रही हैँ। डॉ दमयन्ती संथाल लेखक संघ ओडिशा एवं अखिल भारतीय संथाल संघ झारग्राम की सलाहकार हैँ ।
कृतियाँ -
ओड़िया में - पण्डित रघुनाथ मुर्मू की जीवनी, चाइ चम्पारू भंज दिशोम, दामोद धारे धारे सन्थालो संस्कृतिरो सूचीपत्र, समाज ओ संस्कृति पृष्ठपट्टरे मयूरभंजा सन्थाल , झूमोरोरो कीछी गुमरो ओ ओन्य प्रबन्ध
काव्य संकलन (संथाल) - जीवी झरना, ओ ओत ओंग ओल आर जूरीजीता , साए साहेंद
बाल काव्य (संथाल) - कुइण्डी मीरु
आलोचना (संथाल) - गुरु गोमकेयाग ज्ञेनेल आर ज्ञानालाग
इतिहास - संताली सावंहेद रेयाग नगम
व्याकरण - रोनोड़ टुपलाग
निबंध (संथाल) - सागेन सावंहेद , पारसी साउँता सावंहेद, रोर सानेस
बाल कहानी - गीदड़ाभूलाव कहनी
सम्मान एवं पुरस्कार- संथाली भाषा की साहित्यकार एवं कवि 'डॉ. दमयंती बेसरा' को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में 2020 में पद्मश्री से पुरस्कृत किया गया । 1994 में अखिल भारतीय संथाल लेखक संघ द्वारा इन्हें ' पॉएट ऑफ द ईयर' सम्मान से नवाजा गया था । वर्ष 2004 में भुवनेश्वर में दमयन्ती को असम के विधानसभा अध्यक्ष ने पण्डित रघुनाथ मुर्मू फेलोशिप प्रदान किया था एवं उसी वर्ष उन्हें साधु रामचन्द्र मुर्मू पुरस्कार से सम्मानित किया गया । 2009 में उन्हें प्रो. खगेश्वर महापात्रा फाऊंडेशन सम्मान पत्र प्राप्त हुआ, 2010 में इन्हें साहित्य अकादमी अवार्ड से भी पुरस्कृत किया जा चुका है । वर्ष 2012 में डॉ दमयन्ती को उड़ीसा के राज्यपाल ने भुवनेश्वर में साहित्य सम्मान प्रदान किया था । इनके अलावा डॉ दमयन्ती को समय समय पर विभिन्न संस्थानो ने भंजपुत्र अवार्ड, माँ टांगरासुणी सम्मान, महेश्वर नायक सम्मान, डॉ रामकृष्ण साह मेमोरियल अवार्ड , जनजाति प्रतिभा सम्मान इत्यादि से सम्मानित किया ।
एक रचना - ......
संथाल कविता की इन प्रेरक पंक्तियों का हिन्दी अनुवाद-
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