पद्मश्री - कला (बाँसुरी)
जन्म : 20 जुलाई ' 1920
जन्म स्थान : बॉबे कैलाशाहर, जिला उनाकोटि ,
अगरतल्ला से 150 किलोमीटर, त्रिपुरा
पिता : हाकवुंगा डारलोंग
जीवन परिचय - नार्थ ईस्ट की एक अनुसूचित जनजाति है डारलोंग, इस समुदाय के लोग भारत में केवल त्रिपुरा में मिलेंगे, वो भी संख्या में 25000 से कम. यानि 37 लाख की आबादी वाले त्रिपुरा में डारलोंग समुदाय 1% से भी कम है. इसी समुदाय में जन्में थांगा डारलोंग.
योगदान - आधुनिकता की दौड़ में परम्पराओं को ताक पर रख दिया जाता है. लेकिन परम्पराएँ ही इंसान को उसके अतीत से जोड़ती है. परम्पराएँ समुदायों का इतिहास बताती हैँ. ऐसी ही एक परम्परा के वाहक हैँ थांगा डारलोंग.
नृत्य, गीत और संगीत यह ट्राइबल समुदायों की विशेषता होती है. डारलोंग समुदाय में बांस से एक वाद्य यंत्र 'रोजेम' बनाया जाता था. थांगा के पिता रोजेम बनाने और बजाने में निपुण थे. उन्हें देखकर थांगा बचपन से ही रोजेम बजाने लगे. फिर उन्हें उस्ताद डारथुमा डारलोंग का सान्निध्य मिला और वे रोजेम वाद्ययंत्र में पारंगत होने लगे.
थांगा रोजेम की बारीकियों से अवगत होने लगे और धीरे धीरे गांव के हर त्यौहार में बजाने लगे. थांगा जब धुन छेड़ते तो लोगों के पांव थिरकने लगते. उनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी. देश के विभिन्न स्थानों में थांगा को रोजेम बजाने का अवसर मिला. थांगा अपनी संगीत कला के प्रदर्शन के लिए जापान आदि कई देशों में गए.
मिट्टी की दीवारों और टीन की छत वाली झोपड़ी में रहने वाले थांगा पारम्परिक संगीत के वाहक हैँ. उन्होने ना केवल पारम्परिक वाद्य यंत्र को संरक्षित किया बल्कि अपने समुदाय के युवाओं को प्रशिक्षित भी कर रहे हैँ.
त्रिपुरा यूनिवर्सिटी में वर्ष 2016 में थांगा डारलोंग के जीवनचरित पर 74 मिनट की फिल्म 'ट्रि ऑफ टंग्स' बनी, जिसके निर्देशक थे जोशी जोसेफ.
सम्मान एवं पुरस्कार - त्रिपुरा में आज तक मात्र पाँच लोगों को पद्मश्री अवार्ड्स प्राप्त हुए हैँ, जिनमें चौथे हैँ थांगा डारलोंग. वैसे ये राज्य के पहले ट्राइबल हैँ जिनको पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया. वर्ष 2014 में नईदिल्ली में इनको संगीत नाटक अकादमी सम्मान प्रदान किया गया. 2015 में थांगा को शैक्षणिक फेलोशिप अवार्ड प्राप्त हुआ. 2016 में थांगा राज्य स्तरीय वयोश्रेष्ठ सम्मान से सम्मानित हुए. भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 2017 में इन्हें राष्ट्रीय वयोश्रेष्ठ सम्मान प्रदान किया. 2019 में पद्मश्री सम्मान के पश्चात 28 फरवरी 2019 को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री ने 99 वर्षीय थांगा को अटल बिहारी बाजपेयी लाइफटाइम ऐचिवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया.
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