Friday, 29 May 2020

पद्म भूषण कड़िया मुंडा, झारखण्ड


पद्म भूषण - 2019 सार्वजनिक मामलों के क्षेत्र में

जन्म : 20 अप्रैल' 1936
जन्म स्थान : टोला चांडिलडीह, गांव अनिगाड़ा, जिला खूँटी, झारखण्ड
वर्तमान निवास : गांव अनिगाड़ा, ब्लॉक खूँटी, जिला खूँटी, झारखण्ड
पिता : हाडवा मुण्डा
माता : चाम्बरी देवी
पत्नी : सुनन्दा देवी


जीवन परिचय - झारखंड के खूँटी जिला के अनिगाड़ा गांव में गुलामी के दौरान एक ट्राइबल परिवार में कड़िया मुंडा का जन्म हुआ. उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई गांव से ही की. फिर गांव से 40 किलोमीटर दूर रांची आ गए. कुशाग्र मुंडा ने रांची विश्वविद्यालय से स्नातक और फिर मानवशास्त्र में एम ए किया. मुंडा के दो पुत्र जगरनाथ एवं अमरनाथ और तीन पुत्रियाँ हैँ. इनकी पुत्री चंद्रावती शारु जो पेशे से शिक्षिका हैँ, 2015 में अपने खेत के कच्चे आमों को स्वयं सब्जी बाजार में बैठकर बेचा और सादगी की एक मिसाल कायम की.

राजनीतिक परिचय - मुंडा अपने कॉलेज के दिनोँ में ही सामाजिक कार्यों में रुचि लेने लगे. उन्होंने समाज के अतीत और वर्तमान के विभिन्न पहलुओं का गहन अध्ययन किया. पंडित दीनदयाल उपाध्याय की विचारधारा एवं अटल बिहारी बाजपेयी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर मुंडा भारतीय जनसंघ से जुड़ गए. गांव के किसानों की बीज , खाद या सिंचाई की समस्याओं को लेकर अक्सर प्रखण्ड कार्यालय जाया करते एवं उनके निदान का भरसक प्रयास करते. अनुशासित व समय के पाबंद मुंडा संगठन में भी जगह बनाने लगे. ट्राइबल क्षेत्र की मूलभूत आवश्कताओं की समझ रखने वाले मुंडा की पैठ गहरी होती गई. मण्डल व जिला स्तर पर अपने दायित्वों का बखूबी निर्वहन करने वाले मुंडा को 1975 में बिहार प्रांतीय कमिटी के सह सचिव का दायित्व दे दिया गया.

1977 में लोकसभा चुनाव आ गए. उनदिनों 'भारतीय लोक दल' के 'हलधर किसान' चिन्ह पर चुनाव लड़ा गया. पार्टी ने कूल 405 सीटों पर प्रत्याशी उतारे, जिनमें 295 सीटों पर जीत हासिल हुईं. पार्टी ने खूँटी लोकसभा के लिए कड़िया मुंडा पर विश्वास जताया और वे उस खरे उतरे. मुंडा 91859 वोट लाकर विजयी हुए. पहली बार केंद्र में गैर-कांग्रेसी सरकार बनी. मुंडा पहली बार सांसद बने. पहली बार में ही उन्हें स्टील एवं माईन्स मंत्रालय के राज्यमंत्री के रूप में बड़ी जिम्मेदारी मिली.

1996 में अटल बिहारी वाजपेयी के तेरह दिन के कार्यकाल में कड़िया मुंडा कल्याण मंत्री रहे. वर्ष 2000 में कृषि एवं ग्रामीण उद्योग मंत्री बने. 2003 में कोयला मंत्री एवं 2004 में गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोत मंत्री पद का निर्वहन किया. मुंडा ने 8 जून 2009 से 12 अगस्त 2014 तक लोकसभा उपाध्यक्ष पद को सुशोभित किया.

यूँ तो कड़िया मुंडा आठ बार सांसद रहे. किन्तु भारतीय राजनीति की विडम्बना देखिए, इनके मात्र तीन कार्यकाल ही पूरे हुए. शेष पाँचो लोकसभा किसी ना किसी कारण से अल्पावधि में ही भंग हो गई. यदि आठों कार्यकाल पूर्ण होते तो वे लगभग 14575 दिनोँ तक सांसद रहते, किन्तु इनका संसदीय कार्यकाल मात्र 8852 दिन का रहा. भारत की छठी लोकसभा तो मात्र 298 दिनोँ तक ही चल सकी थी. जबकि नौवीं 467 दिन, ग्यारहवीं 673 दिन एवं बारहवीं लोकसभा मात्र 404 दिन की रही.

सांसद :
छठी लोकसभा - 23.3.1977 से 14.1.1980
नौवीं लोकसभा - 2.12.1989 से 13.3.1991
दसवीं लोकसभा - 20.6.1991 से 10.5.1996
ग्यारहवीं लोकसभा - 16.5.1996 से 19.3.1998
बारहवीं लोकसभा- 19.3.1998 से 26.4.1999
तेरहवीं लोकसभा- 10.10.1999 से 6.2.2004
पंद्रहवीं लोकसभा - 22.5.2009 से 18.5.2014
सोलहवीं लोकसभा- 26.5.2014 से 23.5.2019

खूँटी लोकसभा देश में अपने आप में एक विचित्र लोकसभा है. इसका एक किनारा ओडिशा को छूता है तो दूसरा किनारा छत्तीसगढ़ को. यदि लोकसभा क्षेत्र में एक कोने से दूसरे कोने तक सफर तय करना हो तो दूरी लगभग 250 किलोमीटर है. इसके अंतर्गत अलग अलग 4 जिलों में छह विधानसभा क्षेत्र हैँ. सरायकेला-खरसांवा जिला के 'खरसांवा', रांची जिला के 'तमाड़', खूंटी जिला में 'खूंटी' व 'तोरपा' तथा सिमडेगा जिला में 'सिमडेगा' व 'कोलेबिरा' विधानसभा क्षेत्र आते हैं. किन्तु यह मुंडा का करिश्माई व्यक्तित्व ही था जो हर बार चुनाव में वोट बढ़ते चले गए. 2014 के चुनाव में मुंडा को 269185 वोट मिले.

अपने क्षेत्र में प्रायः पैदल घूमने वाले कड़िया मुंडा विधायक भी रहे. वर्ष 1982 में बिहार के खिजरी विधानसभा क्षेत्र में जब उपचुनाव हुआ तो मुंडा पहली बार विधायक बने. झारखंड गठन के बाद 2005 में एक बार पुनः मुंडा ने खिजरी का प्रतिनिधित्व किया.

संगठन में मुंडा ने विभिन्न दायित्वों का निर्वहन किया. 1980 में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य, 1982 में भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, 1998 भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इत्यादि.

सरकार की विभिन्न समितियों एवं महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी समय समय पर कड़िया मुंडा को सौपी गई. 1977 में इस्पात मंत्रालय की हिन्दी समिति के अध्यक्ष.1990 में सदस्य - विज्ञान प्रौद्योगिकी समिति , वन एवं पर्यावरण समिति, उद्योग मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति. 1991 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कल्याण के लिए समिति, 1994 शहरी एवं ग्रामीण विकास समिति, अनुसूचित जाति जनजातियों के आरक्षण सम्बन्धी समिति, खाद्य आपूर्ति एवं सार्वजनिक वितरण समिति, नागरिक उड्डयन के लिए परामर्शदात्री समिति , चीनी एवं खाद्य तेल मामलों की समिति.

संसद में कई समितियों उसमितियों के अध्यक्ष के तौर पर मुंडा की उल्लेखनीय भूमिका रही - संसद भवन की सुरक्षा सयुंक्त समिति, बजट समिति, निजी सदस्य विधेयक एवं प्रस्ताव समिति, पुस्तकालय समिति, सांसदो के लिए कार्यालय एवं कंप्यूटर उपलब्ध कराने सम्बन्धित समिति.

जमीनी राजनेता मुंडा भारतीय संसदीय समूह समिति, चिल्ड्रेन फोरम, जल संरक्षण और प्रबंधन फोरम, यूथ फोरम, जनसंख्या और सार्वजनिक स्वास्थ्य फोरम, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन फोरम के उपाध्यक्ष भी रहे.

सर्वसुलभ मुंडा सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे. वे ट्राइबल्स के शोषण के विरुद्ध कार्य करते रहे. मुंडा ट्राइबल्स में व्याप्त सामाजिक बुराइयों पर दुःखी रहा करते. वे सदैव ट्राइबल्स युवाओं के मध्य शिक्षा, लोक गीत और नृत्य के प्रसार में सक्रिय रहे. मुंडा यदि अपने लोकसभा क्षेत्र में रहते, तो उनसे मिलना बहुत आसान था. वे गांवों के लोगों से घूम- घूम कर जानते कि इस बार की खेती कैसी रही और पेड़ों पर फल की पैदावार कैसी हुईं. ऐसे सरल मुंडा चीन, फ्रांस, लंदन, नेपाल, नॉर्थ कोरिया, सिंगापुर, थाईलैंड व युएई इत्यादि देशों का भ्रमण कर चुके हैँ.

केंद्र में मंत्री रहते हुए खेतों में हल चलाने वाले सरल स्वभाव के मुंडा अपनी राजनीतिक व्यस्तताओं के बावजूद खेल आयोजनों के लिए समय अवश्य निकाल लिया करते थे. हॉकी एवं फुटबॉल उनके पसंदीदा खेल रहे. मुंडा के लम्बे राजनैतिक जीवन में किसी अपराध, भ्रष्टाचार या विवाद में उनका नाम कभी नहीं आया. वे चुनावों में होने वाले बेहिसाब खर्चों के विरुद्ध प्रयासरत रहे.

सम्मान - अपनी सादगी और कार्य के प्रति समर्पण के लिए पहचाने जाने वाले ट्राइबल राजनेता सह पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष कड़िया मुंडा को वर्ष 2019 में सार्वजनिक मामलों के क्षेत्र में उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए देश का तीसरा सर्वोच्च सम्मान पद्म भूषण प्रदान किया गया. झारखण्ड में यह सम्मान उनके अलावा मात्र टाटा स्टील के पूर्व चैयरमैन रूसी मोदी एवं क्रिकेटर महेन्द्र सिंह धौनी को प्राप्त हुआ है.






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