जमशेदपुर का मारवाड़ी समाज
- संदीप मुरारका
मारवाड़ी समाज पर यदि आलेख लिखना हो तो स्मारिका के कई पृष्ठ केवल सफलतम मारवाड़ियों के नाम की सूची से भरे जा सकते हैं. कौन सा ऐसा क्षेत्र है जहां मारवाड़ी समाज की धमक नहीं है. पूरे कोरोना काल में जब भी टीवी पर समाचार चैनेल बदला गया होगा तो केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल अवश्य दिखाई दिए होंगे. ऑनलाइन चश्मा बेचकर ढ़ाई अरब डॉलर की कंपनी लेंसकार्ट स्थापित करने वाले पीयूष गोयल मारवाड़ी ही तो हैं. ई कामर्स की सफलतम कंपनी फ्लिपकार्ट के संस्थापक सचिन और बिन्नी बंसल युवाओं के लिए आदर्श हैं. ई कामर्स कंपनी मयन्त्रा के मुकेश बंसल, स्नेपडील के सीओओ रोहित बंसल , इंडियामार्ट के सीईओ दिनेश अग्रवाल, ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल येभी के संस्थापक मनमोहन अग्रवाल, टैक्सी की दुनिया में धमाल मचाने वाले ओला के संस्थापक भावीश अग्रवाल, सवारी के गौरव अग्रवाल, नापतौल वाले मनु अग्रवाल, होटल इंडस्ट्री को नई दिशा देने वाले ओयो के संस्थापक रितेश अग्रवाल और घर घर मनचाहा खाना पहुंचाने वाले जोमेटो के संस्थापक दीपेंद्र गोयल जैसे कई नाम हैं, जिन्होंने बदलते युग में फिर एक बार मारवाड़ी समुदाय को अग्रणी पंक्ति में ला कर खड़ा कर दिया है. एल एन मित्तल से लेकर बिड़ला, सिंहानिया, बजाज, रूंगटा, जिंदल की सफलता की कहानियां सुन सुन कर बड़ा हुआ यह समाज अब नये नाम और नये कॉन्सेप्ट गढ़ रहा है.
भारत के सविंधान निर्माता मसौदा समिति के सदस्य देवी प्रसाद खेतान से लेकर इंडियन वॉरेन बफेट के नाम से विख्यात सी ए राकेश झुनझुनवाला तक, युगद्रष्टा समाजवादी डॉ राम मनोहर लोहिया से लेकर वर्तमान राजनीति में हनक रखने वाले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तक, धरती धोरां री जैसे महान गीत के रचयिता महाकवि पद्मश्री कन्हैया लाल सेठिया से लेकर वर्तमान में विख्यात कवि शैलेश लोढ़ा तक, आजादी के बाद जिस इंपीरियल बैंक का नाम बदलकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया कर दिया गया उसके चेयरमैन रहे बद्रीदास गोयनका से लेकर पंजाब नेशनल बैंक के वर्तमान प्रबंध निदेशक अतुल कुमार गोयल तक, टाईम्स ऑफ इंडिया के मालिक रामकृष्ण डालमिया से लेकर जी समूह के सुभाष चंद्रा तक, फिल्मों में पद्मश्री रामगोपाल बजाज से लेकर अदिती अग्रवाल तक, जम्मू कश्मीर में पत्रकारिता के जनक पद्मश्री मुल्क राज सराफ से लेकर झारखंड की पत्रकारिता को आंदोलन बनाने का माद्दा रखने वाले कमल किशोर गोयनका तक, खेल व एडवेंचर के क्षेत्र में पद्मभूषण डॉ. विजयपत सिंहानिया से लेकर पद्मश्री प्रेमलता अग्रवाल तक कौन सी ऐसी फिल्ड है, जिसमें मारवाड़ियों ने सफलता के झंडे ना गाड़े हों.
सबसे मुख्य बात यह है कि मारवाड़ी समुदाय के लोग जहाँ गए, वहीं के हो कर रह गए. वहाँ की भाषा और पहनावे को तुरंत अपना लिया. स्थानीय लोगों से मेलजोल बढ़ाया, जिसका नतीजा हुआ कि व्यापार में मारवाड़ियों ने प्रचुर सफलता प्राप्त की. किंतु इस समुदाय की यह भी विशेषता रही भले कितना भी धन कमाया, अपनी आय का एक हिस्सा परोपकार में अवश्य लगाया. आज जमशेदपुर में कई ऐसे स्मारकीय परिसंपतियां हैं, जो मारवाड़ी समाज की समाजसेवा की प्रत्यक्ष गवाही दे रही हैं. जमशेदपुर शहर बसने के साथ साथ ही मारवाड़ी समुदाय भी बैलगाड़ियों में यहाँ आ गया. आज शहर के हर कोने में इनकी एक दूकान अवश्य मिलेगी. जमशेदपुर में मारवाड़ियों के कई ऐसे मकान मिलेंगे, जिनके निर्माण के सौ वर्ष पूर्ण हो चुके हैं.
सूखी, बूढ़ी व अपंग गायों की निःस्वार्थ सेवा के उद्देश्य से वर्ष 1919 में स्थानीय मारवाड़ियों के सहयोग से खेजरोली निवासी शिव सहाय अग्रवाल ने श्री टाटानगर गौशाला की स्थापना की थी. कालांतर में गौशाला का दायरा बढ़ता चला गया. वर्तमान में जुगसलाई, कालियाडीह, बागबेड़ा एवं सी पी टोला में संचालित गौशाला परिसरों में लगभग 3500 गाय हैं. अध्यक्ष कैलाश सरायवाला एवं महासचिव महेश गोयल के सक्षम नेतृत्व में श्री टाटानगर गौशाला में प्रतिदिन लगभग 2000 किलो दुग्ध उत्पादन किया जा रहा है. वहीं यह जान लेना भी आवश्यक है कि चाकुलिया स्थित कलकत्ता पिंजरापोल सोसाइटी गौशाला की स्थापना 1916 एवं चाईबासा गौशाला की स्थापना 1901 में हो चुकी थी.
जुगसलाई के रंगलाल सुल्तानिया, लादूराम केडिया, हनुमान प्रसाद सिंगोदिया ने अपने संगी साथियों के साथ मिलकर 1926 में श्री राजस्थान शिव मंदिर की स्थापना की. जहाँ आज शादी विवाह के लिए विशाल भवन तैयार हो चुका है. जो बिना किसी जाति के भेदभाव के सबके लिए उपलब्ध है. वर्तमान में अध्यक्ष छीतरमल धुत और महासचिव अरुण अग्रवाल के नेतृत्व में नया वातानुकूलिन सभागार निर्मित हो रहा है.
जुगसलाई निवासी चंदूलाल अग्रवाल एवं उनके सहयोगी बंधुओं ने मिलकर 1963 में महतो पारा रोड़ में श्री बैकुंठ धाम मंदिर की स्थापना की. सात मंदिर के नाम से विख्यात इस मंदिर का दर्शन करते ही किसी तीर्थस्थल की परिकल्पना घूमने लगती हैं. अध्यक्ष ओम प्रकाश अग्रवाल एवं महासचिव सुरेश देबुका प्रत्येक माह ग्यारस के दिनों श्याम प्रेमियों का स्वागत करते मंदिर प्रांगण में आतुर खड़े दिखते हैं.
जुगसलाई की समाजसेविका व धार्मिक मारवाड़ी महिला जयदेई खीरवाल ने वर्ष 1966 में गर्ल्स स्कूल रोड़ में झुंझुनू वाली दादी के मंदिर के प्रतिरुप श्री राणी सती दादी मंदिर की स्थापना की. जहाँ भादो माह की अमावश्या पर लगने वाले मेले में पूरे शहर की मारवाड़ी महिलाएँ राजस्थानी ओढ़नी ओढ़े एकत्रित होती हैं. इस मंदिर की देखरेख व संचालन महेश खीरवाल, प्रणय जैन एवं सरोज खीरवाल के जिम्मे है.
जिस प्रकार समुद्र में पाए जाने वाली शार्क सूंघने की अपनी अविश्वसनीय क्षमता की मदद से लगभग 100 लीटर पानी में खून की एक बूंद को पहचान सकती है, उसी प्रकार एक मारवाड़ी उस जगह का पता लगा लिया करते थे जहाँ व्यापार की संभावनाएं हों. जिस समय जमशेद जी नसरवान जी टाटा ने स्थल चयन की प्रक्रिया प्रारंभ की, तभी सुदूर राजस्थान के लोगों को आभास हो गया कि तत्कालिन बिहार के इस इलाके में व्यापार की संभावनाओं के कई द्वार खुलने वाले हैं और देश भर में फैले मारवाड़ी समुदाय के लोग यहाँ आकर बसने लगे. धार्मिक विचारों वाले इस समाज ने ना केवल अपने रहने के लिए मकान दूकान बनवाए बल्कि भगवान लक्ष्मीनारायण की मंदिर की भी स्थापना की. वर्ष 1895 में जुगसलाई चौक बाजार में मारवाड़ी पंचायत द्वारा स्थापित श्री सत्यनारायण मंदिर इसी दूरदर्शिता का गवाह है. वर्तमान में इस मंदिर का संचालन पंडित श्रवण जोशी, अश्विनी शर्मा एवं प्रकाश जोशी कर रहे हैं.
बिष्टुपुर में रहने वाले संघी, सोंथालिया, मूनका, नरेडी, नागेलिया, आगीवाल व अन्य परिवारों ने मिलकर 1922 में श्री सत्यनारायण मारवाड़ी मंदिर की स्थापना की. जहाँ आज वातानुकूलिन हॉल व ठहरने के लिए ग्यारह कमरे भी बने हुए हैं. अध्यक्ष संतोष संघी एवं सचिव सुरेश आगीवाल के कुशल नेतृत्व में संचालित इस भवन की साफ सफाई देखते ही बनती है.
कदमा के सुआलाल अग्रवाल, जोहरी लाल मित्तल, लूणकरण खेमका, चिरंजीलाल शंकरका, छगनलाल हरूपका, चौथमल शर्मा, पन्नालाल खेमका, रामदयाल अग्रवाल, सूरजमल बहादुरमल अग्रवाल, मुरलीधर मोदी, मोहनलाल चौधरी, धनपतराय अग्रवाल, गणपतराय माहेश्वरी, गजानंद माहेश्वरी एवं उनके साथियों ने मिलकर 1968 में उलियान पथ में श्री लक्ष्मी नारायण मारवाड़ी मंदिर संघ धर्मशाला की स्थापना की. जिसके वर्तमान अध्यक्ष शंकर लाल मित्तल एवं सचिव संतोष गर्ग हैं. कदमा में रहने वाले मारवाड़ी समाज के अधिकांश धार्मिक आयोजन इसी भवन में संपन्न होते हैं.
वर्ष 1912 में साकची में पंडित हीरालाल मदनलाल ने श्री श्री सत्यनारायण ठाकुरबाड़ी मंदिर की स्थापना की. इसी प्रांगण में 2020 में राजस्थानी शैली में भव्य महालक्ष्मी मंदिर की स्थापना की गई. जहाँ कुलदेवी माता महालक्ष्मी के साथ साथ हनुमान जी को गोद में लिए हुए माता अंजना देवी एवं राणी सती दादी का भव्य मंडप भी बना है. मंदिर प्रांगण की चित्रकारी एवं कांच के कार्य की अनुपम शोभा देखते ही बनती है. साकची के कमल अग्रवाल, सुमन अग्रवाल, प्रमोद अग्रवाल एवं उनके साथियों की देखरेख में संचालित इस मंदिर के ऊपरी तल्लों पर दो वातानुकुलिन हॉल और अठारह कमरे निर्मित हैं.
साकची के रहने वाले दूरदर्शी सोच वाले मारवाड़ी समाज के रामकृष्ण चौधरी, सुरेश चंद्र मोदी, नरेश कांवटिया, ओमप्रकाश झाझरिया, ओमप्रकाश रिंगसिया, महावीर प्रसाद मोदी, छेदीलाल अग्रवाल व उनके साथियों ने 1993 में आमबगान में अग्रसेन भवन की स्थापना की. आज स्थिति यह है कि हर मारवाड़ी की प्राथमिकता होती है कि उसके परिवार में होने वाले मांगलिक कार्यक्रम भव्यता, पार्किंग एवं सभी प्रकार की सुविधाओं से सुसज्जित अग्रसेन भवन में ही संपन्न हो.
वर्ष 1960 में डिस्पेंसरी रोड़, सोनारी में लक्ष्मीनारायण दीवान एवं उनके मित्रों द्वारा राजस्थानी महिला सत्संग भवन का निर्माण करवाया गया. सोनारी दोमुहानी रोड़ , कागलनगर में वर्ष 1962 में रामपाल साबू परिवार ने शिव मंदिर की स्थापना की. जिसकी देखरेख वर्तमान में घीसालाल साबू , सीताराम साबू एवं उनके परिवार द्वारा की जाती है.
मानगो के मारवाड़ी समाज द्वारा 1968 में श्री राजस्थान नवयुवक संघ की स्थापना की गई. जिसके अंतर्गत डिमना रोड़, मानगो में राजस्थान भवन का निर्माण हुआ, जो आज विशाल भवन का स्वरुप प्राप्त कर चुका है. रामवतार अग्रवाल, जगदीश प्रसाद अग्रवाल, ब्रह्मदत्त शर्मा एवं उनके साथियों द्वारा लगाए गए इस पौधे को अध्यक्ष विजय अग्रवाल एवं सचिव मनोज केजरीवाल की सशक्त कमिटी ने सींच कर वृक्ष का रुप प्रदान कर दिया है. इस भवन में वैवाहिक व अन्य आयोजनों के लिए तीन हॉल एवं खुले प्रांगण के अलावा छः कमरे निर्मित हैं. मानगो के मारवाड़ी श्याम भक्तों द्वारा वर्ष 2000 में पुरुलिया रोड़ में श्री श्याम भवन की स्थापना की गई. जिसके वर्तमान अध्यक्ष महावीर प्रसाद अग्रवाल एवं सचिव विजय खेमका हैं. श्याम प्रचार एवं निशान यात्रा के लिए प्रसिद्ध इस भवन में एक सभागार और चार कमरे निर्मित हैं.
शिक्षा के प्रति संवेदनशील मारवाड़ी समाज ने जुगसलाई कुम्हार पारा रोड़ में 1954 में राजस्थान युवक मंडल की स्थापना की. जहाँ बाल भारती उच्च विद्यालय का संचालन किया जाता है. स्व. राधा किशन खेमका, वासुदेव केडिया, बनवारी लाल काबरा, कन्हैया लाल पुरिया, रामगोपाल मुरारका इत्यादि द्वारा स्थापित इस विद्यालय के वर्तमान अध्यक्ष राजकुमार बरवालिया, महासचिव किशोर तापडिया एवं विद्यालय सचिव संगीता मित्तल हैं. वहीं सोनारी में राजस्थान मैत्री संघ द्वारा भी दो विद्यालयों का संचालन किया जाता है. साथ ही मानगो में ब्रह्मदत्त शर्मा द्वारा गोविंद विद्यालय एवं शिव प्रकाश शर्मा द्वारा साउथ पॉइंट स्कूल का संचालन किया जा रहा है. परसुडीह में विवेक पुरिया द्वारा ब्राइट फ्यूचर स्कूल, पारडीह में कविता अग्रवाल द्वारा माउंट लिटरेरा स्कूल एवं जुगसलाई में प्रियंका अग्रवाल द्वारा लिटिल स्टार प्ले स्कूल का संचालन किया जा रहा है.
इन सबके अलावा भी मारवाड़ी समाज द्वारा स्थापित कई भवन, धर्मशालाएं, मंदिर, चिकित्सालय हैं. वर्ष 1979 में शिव मंदिर लेन में स्थापित श्री श्री साकची शिव मंदिर, वर्ष 1983 में सोनारी कार्मेल जूनियर कॉलेज के समीप स्थापित राजस्थान श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर, वर्ष 1995 में स्व बजरंग लाल भरतिया द्वारा शिव घाट जुगसलाई का नव निर्माण एवं श्री महाकालेश्वर मंदिर की स्थापना, रमेश मेंगोतिया, अनिल मेंगोतिया, राजेश मेंगोतिया, लोचन मेंगोतिया एवं उनके परिवार द्वारा वर्ष 2002 में चौक बाजार जुगसलाई में अवस्थित श्री श्री राधा कृष्ण मंदिर का पुनर्निमाण, वर्ष 1982 में खेमचंद चौधरी के परिवार द्वारा जवाहरनगर मानगो में श्री श्री मनोकामना मंदिर की स्थापना, सत्यनारायण भार्गव द्वारा 2006 में एवं हीरालाल भार्गव द्वारा 2009 में गर्ल्स स्कूल रोड़, जुगसलाई में श्री शनि देव मंदिर की स्थापना, वर्ष 2003 में गौशाला रोड़, जुगसलाई में श्री श्वेतांबर मूर्तिपूजक जैन संघ द्वारा भव्य भगवान महावीर के मंदिर की स्थापना, 1992 में महेश कुमार झंवर के प्रयासों से माहेश्वरी समाज द्वारा जुगसलाई एम ई स्कूल रोड़ में श्री माहेश्वरी मंडल की स्थापना, 1978 में गोमती देवी द्वारा सनातन ग्रंथों के अध्ययन हेतु पुरुलिया रोड़ मानगो में श्री महिला सत्संग भवन की स्थापना, गोलमुरी की सक्रिय महिला द्रौपदी देवी एवं उनकी महिला टीम द्वारा विजय नगर में प्रज्ञा भवन की स्थापना, वर्ष 1992 में खेमचंद चौधरी के परिवार द्वारा गोलमुरी मार्केट में सेठ लक्ष्मीनारायण चौधरी धर्मशाला, वर्ष 1966 में बिष्टुपुर के महासुखराम संघी, मातादीन सोंथालिया, डोंगरसीदास देबुका एवं कालूराम संघी द्वारा आर रोड़ में राजस्थान भवन की स्थापना, जमशेदपुर के मारवाड़ी ब्राह्मण समाज द्वारा 1989 में जुगसलाई रामटेकरी रोड़ में स्थापित ऋषि भवन, जिसका संचालन श्री राजस्थानी ब्राह्मण संघ द्वारा किया जाता है. इस भवन की परिकल्पना का श्रेय हरिनारायण पारीक, महेश चंद्र शर्मा, हरसायमत शर्मा, पन्ना लाल, रामअवतार सारस्वत, छितर मल शर्मा एवं बजरंग लाल शर्मा को जाता है. वर्तमान में भवन की देखरेख प्रकाश जोशी जैसे युवाओं की टीम कर रही है.
वर्ष 1981 में केदार जैसुका, महावीर भालोटिया, मोतीलाल अग्रवाल, साधुराम गोयल, गजानंद भालोटिया एवं उनके साथियों ने मिलकर नया बाजार जुगसलाई में श्री राजस्थान आदर्श युवा संघ के अंतर्गत अग्रसेन भवन की स्थापना की. वर्तमान में इस भवन की देखरेख भी भरतेश शर्मा जैसे युवाओं की टीम कर रही है.
ऐसा नहीं है कि जमशेदपुर के मारवाड़ी समाज ने केवल उद्योग व्यवसाय में ही सफलता प्राप्त की और समाजसेवा में अपना धन लगाया. मारवाड़ियों में शिक्षा के प्रति रुझान का आलम यह है कि आज जमशेदपुर में दो सौ से ज्यादा चार्टर्ड एकाउंटेंट और सौ से ज्यादा डॉक्टर्स हैं. कंपनी सचिव, अधिवक्ता, एमबीए, इंजीनियर, इंटीरियर डिजाइनर, आर्किटेक्ट, फैशन डिजाइनर इत्यादि कोई ऐसी फिल्ड नहीं होगी, जिसमें मारवाड़ी युवाओं की दखल ना हो, जमशेदपुर के सैकड़ों मारवाड़ी युवा अमेरिका की सिलिकैन वैली से लेकर बैंगलुरु के आईटी हब में अपनी धाक जमाए हुये हैं. अब तो जमशेदपुर का मारवाड़ी युवाओं का रुझान प्रशासनिक सेवा की तरफ भी हो चला है. जुगसलाई के उद्यमी सुशील अग्रवाल के पुत्र आदर्श अग्रवाल 2016 बैच के भारतीय लेखा परीक्षा एवं लेखा सेवा के अधिकारी हैं एवं वर्तमान में पटना, बिहार में उपमहालेखाकार पद पर पदस्थापित हैं.
टुईलाडुंगरी, गाराबासा के रहने वाले अधिवक्ता बिनोद अग्रवाल के सुपुत्र नवीन अग्रवाल 2016 बैच के भारतीय राजस्व अधिकारी हैं एवं वर्तमान में जीएसटी परिषद, दिल्ली में अवर सचिव के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. आदित्यपुर के व्यवसायी कमल अग्रवाल के पुत्र अभिषेक अग्रवाल 2017 बैच के भारतीय इंजीनिरिंग सर्विसेज के अधिकारी हैं एवं वर्तमान में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अंतर्गत गुवाहाटी में पदस्थापित हैं.
# इस आलेख के लेखक संदीप मुरारका ने मारवाड़ी समाज की वैसी महान हस्तियों पर पुस्तक लिखी है, जिनको पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. पुस्तक का शीर्षक है - "पद्म अलंकृत विभूतियां : मारवाड़ी/अग्रवाल"
www.sandeepmurarka.com
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