Monday, 12 December 2022

रामजन्म भूमि आंदोलन एवं श्री राम मंदिर निर्माण में अग्रणी अग्रवाल/मारवाड़ी विभूतियां

रामजन्म भूमि आंदोलन एवं श्री राम मंदिर निर्माण में अग्रणी अग्रवाल/मारवाड़ी  विभूतियां

-  संदीप मुरारका

1. स्व .हनुमान प्रसाद पोद्दार 'भाई जी' - गीता प्रेस गोरखपुर के आदि संपादक एवं स्वतंत्रता सेनानी। अयोध्या में भगवान श्रीरामलला का अष्टधातु का जो विग्रह है, उसके प्राकट्य के सूत्रधार भाईजी ही थे। उन्होंने कल्याण के कई अंक रामजन्मभूमि को समर्पित किए थे। राममंदिर आंदोलन पर प्रकाशित चर्चित पुस्तक 'युद्ध में अयोध्या' में भाई जी के योगदान पर विस्तार से चर्चा की गई है।

2. स्व. अशोक सिंघल, आई.आई. टी.  - हिंदू हृदय सम्राट व  विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष।  रामजन्मभूमि आंदोलन के सूत्रधार एवं वर्ष 1992 में विवादित ढाँचा तोड़ने वाले कारसेवकों के नेतृत्वकर्ता

3. स्व. विष्णु हरि डालमिया - बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड के सह अभियुक्त रहे उद्योगपति विष्णु हरि डालमिया की गिनती विश्व हिंदू परिषद् के कद्दावर नेताओं में होती थी। राम मंदिर आंदोलन जब अपने चरम पर था, उस समय विष्णु हरि डालमिया ही विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष थे। डालमिया श्री राम जन्मभूमि आंदोलन के अग्रणी नेताओं में शामिल थे। वे राम जन्मभूमि मार्गदर्शक मंडल के सदस्य एवं
श्री कृष्ण जन्मस्थान के प्रबंध न्यासी रहे थे।

4. कोठारी बंधु - 21 से 30 अक्टूबर 1990 तक अयोध्या में लाखों की संख्या में कारसेवक जुट चुके थे। सब विवादित स्थल की ओर जाने की तैयारी में थे। विवादित स्थल के चारों तरफ भारी सुरक्षा थी। अयोध्या में लगे कर्फ्यू के बीच सुबह करीब 10 बजे चारों दिशाओं से बाबरी मस्जिद की ओर कारसेवक बढ़ने लगे। पुस्तक 'अयोध्या के चश्मदीद' के अनुसार कोठारी बंधु रामकुमार और शरद 22 अक्टूबर की रात कोलकाता से चले थे। बनारस आकर रुक गए, सरकार ने ट्रेनें और बसें बंद कर रखी थीं, तो वे टैक्सी से आजमगढ़ के फूलपुर कस्बे तक आए। इसके बाद यहां से सड़क का रास्ता भी बंद था। दोनों भाई  25 अक्टूबर को अयोध्या की तरफ पैदल निकले पड़े। करीब 200 किलोमीटर पैदल चलने के बाद 30 अक्टूबर को दोनों अयोध्या पहुंचे। संभवतः 30 अक्टूबर को गुंबद पर चढ़ने वाले पहले वीर कार सेवक शरद कोठारी ही थे, फिर उनके भाई रामकुमार भी चढ़े और दोनों ने वहां भगवा झंडा फहराया।

गुंबद पर झंडा लहराने के बाद शरद और रामकुमार 2 नवंबर को विनय कटियार के नेतृत्व में दिगंबर अखाड़े की तरफ से हनुमानगढ़ी की तरफ जा रहे थे। जब पुलिस ने गोली चलाई तो दोनों पीछे हटकर लाल कोठी वाली गली के एक घर में छिप गए। लेकिन थोड़ी देर बाद जब वे दोनों बाहर निकले तो पुलिस फायरिंग का शिकार बन गए। दोनों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। संघ कार्यकर्ता शरद की उम्र महज 20 वर्ष और रामकुमार की 23 वर्ष थी।


5. श्री जय भगवान गोयल - अयोध्या में 6 दिसंबर,1992 बाबरी मस्जिद विवादित ढांचा विध्वंस मामले में 28 साल बाद दिनांक 30 सितंबर,2020 को सीबीआई कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया। माननीय अदालत ने कहा कि मस्जिद का विध्वंस कोई साजिश नहीं थी और किसी भी आरोपी के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले। किंतु मामले में बरी होने के बाद कोर्ट के बाहर अग्रवंशी शेरदिल शख्शियत
जय भगवान गोयल ने कहा- हां! मैंने ढांचा गिराया, हिंदू जीता, अब काशी और मथुरा है मुद्दा ! हमने ही ढांचा गिराया था। वर्ष 1990 में कार सेवकों को गोलियों से भूना गया था। हमारे नेता अशोक सिंघल जी का सिर फाड़ दिया था, ये सबकुछ हमने देखा था। इसको लेकर हमारे अंदर आक्रोश था कि जब कभी कार सेवा होगी तो ढांचा टूटना चाहिए।
उन्होंने आगे यह भी कहा 'हमारा पूरा एजेंडा था कि ढांचा बचना नहीं चाहिए, ढांचा टूटना ही चाहिए, ये हमारा भाव था। भाव के साथ-साथ हनुमान जी की कृपा हुई, हजारों लाखों की संख्या में लोग वहां पहुंचे और हर कार सेवक के अंदर स्वयं हनुमान जी आ गए।' सीबीआई कोर्ट ने मुझे बरी कर दिया, इसके लिए धन्यवाद। अगर सीबीआई कोर्ट हमें सजा सुनाती, उसे भी हम स्वीकार करते। हमने ढांचा बिल्कुल गिराया था। गिराया था, तभी तो आज राम मंदिर बन रहा है। अगर 6 दिसंबर 1992 को मस्जिद नहीं गिराते, तो राम मंदिर कैसे बन पाता!  हिंदू जीता, अब हमारा अगला एजेंडा काशी और मथुरा है।

6. स्व. विनोद कुमार बंसल एवं श्री अमर नाथ गोयल -
दिनांक 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में मस्जिद का ढांचा गिराया गया था और इस केस में 49 आरोपी बनाए गए थे। फैसला आने तक  इनमें से 17 का निधन हो चुका था और बचे हुए 32 आरोपियों को बरी कर दिया गया। उन 49 लोगों में 6 आरोपी अग्रवाल समाज के थे। अशोक सिंघल, चंपत राय, जय भगवान गोयल और विष्णु हरि डालमिया की चर्चा आलेख में की जा चुकी है, शेष दो हैं स्व. विनोद कुमार बंसल एवं श्री अमर नाथ गोयल।

जिन 32 आरोपियों को किया गया बरी - 
लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र , सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर

फैसला आने तक जिन 17 लोगों का हो चुका था निधन -
अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया, मोरेश्वर सावें, महंत अवैद्यनाथ, महामंडलेश्वर जगदीश मुनि महाराज, बैकुंठ लाल शर्मा, परमहंस रामचंद्र दास, डॉ. सतीश नागर, बालासाहेब ठाकरे, तत्कालीन एसएसपी डीबी राय, रमेश प्रताप सिंह, महात्यागी हरगोविंद सिंह, लक्ष्मी नारायण दास, राम नारायण दास और विनोद कुमार बंसल

7. स्व. देवकीनंदन अग्रवाल - इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश देवकीनंदन अग्रवाल ने रिटायरमेंट के पश्चात रामलला के मित्र के नाते अदालत में मुकदमा दायर कर कहा कि मुकदमे में रामलला को पार्टी बनाया जाए। क्योंकि इमारत में तो रामलला विराजमान हैं। मौके पर उनका कब्जा है। इसी के बाद हाईकोर्ट ने रामलला (मूर्ति) को पार्टी बनाया। अयोध्या विवाद से संबं‍धित 5 मुकदमे दायर किए गए  थे। जिसमें से अंतिम व पाँचवाँ मुकदमा (संख्या 236/1989) भगवान रामलला विराजमान की ओर से 1 जुलाई, 1989 को देवकीनंदन अग्रवाल ने दायर किया था। देवकीनंदन अग्रवाल 1977 से 1983 तक इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश रह चुके थे। कानून के जानकार देवकीनंदन अग्रवाल ने भगवान राम के निकट मित्र के रूप में अपने को पेश किया था। हिंदू मान्यताओं के अनुसार प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति एक जीवित इकाई होती है और अपना मुकदमा लड़ सकती है। लेकिन प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति नाबालिग मानी जाती है, इसलिए उनका मुकदमा लड़ने के लिए किसी एक व्यक्ति को माध्यम बनाया जाता है। न्यायालय ने रामलला का मुकदमा लड़ने के लिए देवकीनंदन अग्रवाल को रामलला के अभिन्न सखा के रूप में अधिकृत किया। देवकीनंदन जी द्वारा दायर मुकदमे में माननीय न्यायालय  से मांग की गई थी कि राम जन्मभूमि अयोध्या का पूरा परिसर वादी (देव-विग्रह) का है, अत: राम जन्मभूमि पर नया मंदिर बनाने का विरोध करने वाले या इसमें किसी प्रकार की आपत्ति या बाधा खड़ी करने वाले प्रतिवादियों को रोका जाए। देवकीनंदन अग्रवाल के निधन के बाद विश्व हिंदू परिषद के त्रिलोकी नाथ पांडेय रामलला के मित्र के तौर पर पैरोकार बने।


8. स्व. सीताराम गोयल एवं स्व. रामस्वरूप अग्रवाल  -
इन दो महान मनीषियों ने अपना पूरा जीवन हिंदुत्व के बौद्धिक योद्धाओं के नाते समर्पित कर दिया। हिंदुओं को जाग्रत करने हेतु इतिहासकार सीताराम गोयल द्वारा लिखी गई पुस्तकों को पढ़े बिना रामजन्म भूमि के इतिहास को समझना असंभव है। दो खंडों में लिखी गई 'हिंदू टेम्पल्स : व्हाट हैपेंड टू देम' में इस्लामी आक्रमणों के संदर्भों सहित मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए कई हिंदू मंदिरों का सिलसिलेवार ब्योरा एवं एतिहासिक अकाट्य तथ्य प्रकाशित है।

महान विचारक रामस्वरूप अग्रवाल की सबसे उल्लेखनीय पुस्तक है- 'हिन्दू व्यू ऑफ क्रिश्चियेनिटी एंड इस्लाम', जो तीन भागों में प्रकाशित है। उनका मानना था कि हिंदू विद्वानों ने कभी भी उन विदेशी धर्मों का गंभीर अध्ययन नहीं किया, जो भारत की पारंपरिक भूमि में बसने के लिए आए थे। उसके उलट इस्लामी शासकों और बुद्धिजीवियों, मिशनरियों और उपनिवेशों ने हिंदू परंपराओं पर गंभीर अध्ययन करवाए।

9. श्री चंपत राय बंसल - राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्णकालिक कार्यकर्ता एवं विश्व हिंदू परिषद् के वरिष्ठ नेता
चंपत राय वर्तमान में  विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष एवं श्री राम जन्मभूमि क्षेत्र ट्रस्ट, अयोध्या के महासचिव हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भारत सरकार ने राजपत्र जारी कर विवादित स्थल के आंतरिक और बाह्य प्रांगण का कब्जा इसी न्यास को सौंप दिया है। अयोध्या रेलवे स्टेशन के समीप मार्ग पर स्थित बाग बिजेसी जैसे प्राइम लोकेशन में कौशल्या सदन आदि मंदिरों की स्थापना हेतु 1.20 हेक्टेयर भूमि को क्रय करने एवं भूमि विवाद सुलझाने का श्रेय चंपत राय को जाता है।

10. श्री सलिल सिंघल - दिनांक 5 अगस्त, 2920 को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए अभिजीत मुहूर्त में भूमि पूजन कर नींव रखी। इस दौरान अयोध्या सहित पूरा देश राममय हो गया। पीएम मोदी समेत करीब 175 लोग इस ऐतिहासिक पल का गवाह बने। भूमि पूजन कार्यक्रम के मंच पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ नृत्य गोपाल दास, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत रहे। साथ ही मंच पर उपस्थित रहे मुख्य यजमान सलिल सिंघल, जो अशोक सिंघल के बड़े भाई प्रमोद पी. सिंघल के पुत्र हैं। इन्होंने भूमि पूजन में मुख्य यजमान की भूमिका निभाई। पीआई इंडस्ट्रीज लिमिटेड़ के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक रहे सलिल वर्तमान में कंपनी के चेयरमैन एमेरिटस है। वे भारत के सबसे बड़े उद्योग संस्थान सीआईआई की राष्ट्रीय परिषद के भी सदस्य हैं। सिंघल परिवार ने श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए ग्यारह करोड़ रुपये का अनुदान भी दिया है।

11. श्री एस के पोद्दार, श्री बिनोद गोयल एवं अग्रवाल विकास ट्रस्ट - राम मंदिर निर्माण के लिए जनवरी 2021 में जब 'निधि समर्पण कार्यक्रम' की शुरुआत की गयी, तब लोगों ने बढ़चढ़ कर इस हवन में राशि रूपी आहुति समर्पित की। अग्रवाल समाज ने तो मानों तिजोरियां खोल दी, जिन 74 लोगों ने एक करोड़ से ज्यादा की राशि भेंट की, उनमें कई अग्रवाल थे। जैसे राम के अनन्य भक्त जयपुर के उद्यमी एस के पोद्दार, जिन्होंने निधि समर्पण अभियान के पहले दिन 15 जनवरी,2021 को एक करोड़ एक लाख रुपये भेंट किये। इंदौर के प्रमुख व्यवसायी बिनोद अग्रवाल, जिन्होंने एक करोड़ रुपये दिये। सूरत के अग्रवाल विकास ट्रस्ट ने राम मंदिर निर्माण निधि में रु. 5,51,11,111/- का बड़ा अनुदान दिया। इस संस्था के अध्यक्ष अध्यक्ष सुभाष अग्रवाल, निवर्तमान अध्यक्ष हरि कानोडिया, उपाध्यक्ष संजय सरावगी, कोषाध्यक्ष सुभाष पाटोदिया, मंदिर निर्माण निधि समर्पण के चेयरमैन प्रमोद चौधरी एवं दान संग्रह समिति के संयोजक राकेश कंसल थे।

(इस आलेख के लेखक की आठ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिसमें एक है 'पद्म अलंकृत विभूतियां मारवाड़ी/अग्रवाल')
www.sandeepmurarka.com

No comments:

Post a Comment