Sunday, 23 October 2016

लौटा दो गीत हमारा

करण जौहर की फिल्म 'ऐ दिल है मुश्किल' की रिलीज पर उत्पन्न विवाद और पाकिस्तानी कलाकारों का विरोध करने पर श्रीमान राज़ ठाकरे जी को समर्पित कुछ पंक्तियाँ -

गीतांजलि रचने वाले
नोबेल पुरस्कार पाने वाले
शांतिनिकेतन को बसाने वाले
रवीन्द्रनाथ टैगौर सचमुच गुरुदेव थे

गाँधी जी को महात्मा कहकर पुकारा था
अंग्रेजों की उपाधि को उन्होंने दुत्करा था ।

जन गण मन अधिनायक लिखने वाले ,
भारत का राष्ट्र गान रचने वाले वो हमारे थे ।

कैसे किसी ने गुरुदेव का गीत हड़प लिया ?
कैसे किसी औऱ ने उनकी कला पे दावा किया ?

कला तो सरहदों के भीतर रहने की चीज़ है ,
हमारे कवि की रचना को दूसरों ने कैसे पढ़ लिया ?

पढ़ा तो पढ़ा , राष्ट्रगान का दर्जा भी दे दिया ,
आमार सोनार बाँग्ला का इस्तेमाल कर लिया ?

घोर आपत्ति , घोर विरोध , जुर्माना लगना चाहिये ,
गुरुदेव का गीत , बंगलादेश से वापस आना चाहिये ।

हिंदुस्तान का गीत , मुसलमानी देश का राष्ट्र गान है ,
अरे ये तो हमारी कला संस्कृति पे सीधा आक्रमण है ।

इन दुष्ट विदेशी कलाकारों को ,निकाल देश से बाहर करो
नहीं चाहिये कोहिनूर , गुरुदेव का गीत लाकर वापस धरो

राष्ट्र भक्ति, राष्ट्र हित, राष्ट्र अस्मिता , राष्ट्रीयता का सवाल है ,
लौटेगा गीत , जिम्मेदारी अव ये राज़ ठाकरे जी के पास है ॥

दिनांक 23.10.2016 रविवार
संदीप मुरारका

सत्ता के शिकारी

न हिंदू मसला , न मसला है मुसलमान
न भारत वैर चाहता , न ही पाकिस्तान ।

ये खेल है वोटों का दोनों ओर चल रहा
रोक लो   , अब ये ज़हर नीला पड़ रहा ।

गाहे बेगाहे मिलते रहते , होती रहती अंजुमन
गले लगते अलीम* औ वजीर , मानो हो नदीम **
*विद्वान 
** घनिष्ठ मित्र

अँग्रेजी मॆं दोनों के हुक्मरान , ढेरों बतियाते रहे
हम उर्दू कॊ , तुम हिन्दी कॊ बेवजह गरियाते रहे ।

सीमा पर मरे सैनिक , हम मोमबत्तियाँ जलाते रहे ,
उरि से बेखबर राज़दूत हमारे , पार्टियाँ मनाते  रहे ।1

एक्सपोर्ट इंपोर्ट्स के नाम पर , बढ़ गया खूब व्यापार ,
मिल कर खेलेंगे ट्वेंटी ट्वेंटी , बुरा है  सिर्फ कलाकार ।

बेचने वाले हम दर्द तेल , आज़ देश के ख़ास हितैषी हो चले ,
अमीर नहीं अमर के मित्र खड़े , अतुल्य भारत के झंडे तले ।

मिट्टी के दिये खरीदने को , प्रेरित करने वालों हे महान लोगों ,
माटी पे लगा दिया टेक्स*, घरों से घड़ा बाहर निकाल दिया ।
*माइनिंग रॉयल्टी

मुसलमानी जमीं के तेल के बिना गुजारा अपना चलना नहीं ,
हिंदू मसालों  के बिना , बिरयानी मॆं उनके स्वाद पड़ना नहीं ।

आडवाणी ने जिन्ना के चरणों पे माथा यूँ ही नहीं टेका था ,
मरते दम तक , जिन्ना का दिल मुंबई मॆं ही क्यू अटका था ?

बाते हैं ढेर , हसन मंटो खुशवंत ने भी कुछ कुछ कुरेदा है ,
सम्भल जाओ , ना और देर करो , वक्त अब भी बाकी  है ।

लड़े जिनके विरुद्ध इतना , उन अंग्रेजों को क्यू गले लगाते हो ,
भूल जाओगे फ़िर एकबार  , काहे  बलि का बकरा बनाते हो ?

करो नफरत कम अपनी ,बाहर लाओ अंदर की समझदारी ,
ना ये  तेरे हैं , ना मेरे हैं , ये भूखे भेडिये हैं सत्ता  के शिकारी ।

दिनांक 22.10.2016 शनिवार
संदीप मुरारका

1. दिनांक 19 सितम्बर 2016 कॊ
पाकिस्तान मॆं स्थित भारतीय दूतावास मॆं
जिम का उदघाटन गौतम बॉम्बेवाला , भारतीय राजदूत द्वारा किया गया.

आपको याद दिला दूँ कि उरी हमला दिनांक 18 सितम्बर 2016 कॊ हुआ था और उसके बाद विश्व के हर देश मॆं बैठा भारत का राजदूत कर क्या रहा था ? कोई जिम का उदघाटन तो दुबई के राजदूत वहाँ के राजकुमार के भारत दौरे की तैयारी तो USA के राजदूत  अपने विदाई समारोह की पार्टी ? और हम क्या कर रहे थे गली गली मोमबत्ती जला रहे थे. क्या विश्व भर मॆं हर भारतीय दूतावास से उरि हमले के विरोध मॆं आंतकवाद के विरोध मॆं एक निंदा प्रस्ताव वहाँ की लोकल मीडीया को नहीँ जाना चाहिये था ?

http://www.india.org.pk/slide_archives.php

Tuesday, 18 October 2016

वो गैर हैं

वे गाँधी को नहीँ पढ़ाते , जिन्ना हमें नहीँ सुहाते ।
बँट गयी भले सरहद , क्या  इतिहास बदल पाओगे ?

आओ देखें ज़रा , हिन्दुस्तान बसता और कहाँ कहाँ
अपने ही दूसरे घर जाने को विजा माँगा जायेगा यहाँ ।

लेकर चले शिव , शव सती का , अंग गिरे जहाँ जहाँ
बने माँ के मन्दिर , हुये उदित  शक्तिपीठ वहाँ वहाँ ।

तो गिरा सिर* जहाँ , चलो माथा वहाँ टिकाना है ?
हींगलाज मंदिर वो बलूचिस्तान का बड़ा पुराना है ।
*ब्रह्मरंध्र

गिरी दाहिनी भुजा , जिस चन्द्रशेखर पर्वत पर है ,
चलो करें  दर्शन , वो बंगलादेश का गाँव चट्टल है ।

बंगलादेश के खुलना जिले की टिकट भी बननी है ,
जहाँ यशोरेश्वरी की बायीं हथेली की पूजा करनी है ।

बंगलादेश के शिकारपुर गाँव में माँ सुनंदा की नाक है ,
चलो चलें , बैठे स्वयं शिव जहाँ बनकर त्रम्बयक  हैं ।

कराची के निकट गिर पड़ी , सती महिष मर्दिनी की आँखे ,
महालक्ष्मी का गला , बंगलादेश के श्री शेल गाँव मॆं विराजे ।

बंगलादेश के खासी पर्वत पर पूजे जयंति की बायीं जंघा,
मानसरोवर , तिब्ब्त के निकट है दाक्षायनी का हाथ दायाँ ।

महाशिरा के दोनों घुटनों की होती पूजा नित्य सुबह शाम
काठमांडू , नेपाल का गुजयेश्वरी मंदिर है परम शक्ति धाम ।

पोखरा, नेपाल के मुक्तिनाथ का वर्णन करे विष्णु पुराण,
गंडकी चंडी का मस्तक है, इस पवित्र मन्दिर मॆं विद्यमान ।

कट्टरपंथियों के देश मॆं सती की बांयी पायल खूब पूजी जाती ,
तभी तो शेख हसीना, होकर महिला भी सम्मान भरपूर पाती ।

एक पंजाब अपने हिस्से मॆं , एक पंजाब उनके हिस्से मॆं ,
जिसकी राजधानी लाहौर कॊ बसाया श्रीराम पुत्र लव ने ।

लाहौर के किले के आलमगीर दरवाजे का ईशान कोना ,
जहाँ है मंदिर लव का , हैं  कई शिवालय और गुरूद्वारा ।

रावी के तट पर बसा पंजाबी भाषा वाला ये बागों का शहर ,
वाल्मीकि और कृष्ण हैं वहाँ , प्रसिद्ध है अनारकली मंदर ।

चकवाल जिले मॆं भोलेनाथ के आंसुओं से बना सरोवर ,
पाकिस्तान का कटासराज़ शिव मंदिर है  बड़ा मनोहर ।

सिंध प्रांत में थारपारकर जिले का गौरी मन्दिर है दर्शनीय ,
काला बाग के मरी इंडस मन्दिर की चर्चा भी है उलेखनीय ।

पाक अधिकृत काश्मीर मॆं भी बैठे हैं बाबा भोलेनाथ ,
मनोरा केन्ट  मॆं श्रीवरुण देव औ पेशावर मॆं गोरखनाथ ।

जिन्ना रोड कराची मॆं धर्मशाला और स्वामी नारायण मन्दिर ,
सोल्जर बाजार हनुमान की नीली मूरत मॆं लगे हैं पाँच सिर ।

सिंध प्रांत , सुक्कुर के साधु  बेला मॆं होता है भव्य भंडारा ,
एल ओ सी नीलम घाटी पर बैठी स्वयं माँ सरस्वती शारदा ।

भेरा , नागरपारकर, रावलपिंडी हो या पंजाब  सियालकोट ,
टीला जोगिया, गुजारनवाला , इस्लामाबाद का रावल लेक ।

नेपाल तिब्बत श्रीलंका बंगलादेश हो गये , बँट कर देश अनेक,
हो पाकिस्तान चाहे  हो हिन्दुस्तान , है सबका इतिहास एक ।

दिनांक 18.10.2016 मंगलवार
संदीप मुरारका

Wednesday, 12 October 2016

हिन्दुस्तान सिर्फ हमारा है

नवाजुद्दीन सिद्दिकी कॊ शिवसेना के लोगों ने रामलीला से बाहर निकाल दिया , तब मैंने अपने विचार कुछ यूँ लिखें हैं -

करने चला था अभिनय हमारी रामलीला मॆं
मार के धक्का मंच से उतार दिया ना ,

क्यों कैसा लगा हीरो  नवाजुद्दीन सिद्दिकी
आखिर हिन्दुस्तान से मिलवा दिया ना ॥

यह  हिन्दुस्तान सिर्फ और सिर्फ हमारा है ,
गँगा जमना भी हमारी , कृष्ण भी हमारा है ,

उधौ तुम यह मरम ना जानो
हम मॆं श्याम ,श्याम मय हम हैं -
ना जाने शाह बरकतुल्लाह ने ये कैसे लिख डाला ?

रेहाना बहन1 क्यों पढ़ती रही गीता शरीफ ?
और कैसे लिख गये सन्त साईदीन दरवेश 2-

ज्ञानेश्वरीगीता’ सुने, हुआ ज्ञान उजियार
सो ही गीता अभी से लिखे, सांई ‘दीन’ विचार॥
मैं तो दीन फकीर हूं तुम हो गरीब नवाज
दीनानाथ दयानिधि, रखो दीन की लाज।

मौलाना जफर अली ने की श्रध्दा कैसे प्रकट -

दिलों पर डालती आई है, डोरे सहर के
गीता नहीं मिटने में आई है,
यह जादू की लकीर अब तक।

दौजख मॆं जब मैं उनसे मिलूंगा, तो ज़रूर  पूछूंगा  -
कि रहमान अली तुने होली के गीत किस हक से लिखे ?
नज्में फ़र्ज कॊ लिखने वाले कैफी आजमी तुम हो कौन ?

 शायर सरदार अली जाफरी ने ये क्या लिख डाला -

अगर कृष्ण की तालीम आम हो जाए
तो फितनगरों का काम तमाम हो जाए।
मिटाएं बिरहमन शेख तफरूकात अपने
जमाना दोनों घर का गुलाम हो जाए।

हाय लानत , मौलाना हसरत मोहनी की रचना का

मथुरा ही नगर है आशिकी का,
हम भारती हैं आरजू इसी का
हर जर्रा सरजमीने- गोकुल वारा
है जमालेढ दिलवारी का
बरसाना- ओ-नंद गांव में भी,
देख आये हैं हम जलवा किसी का ॥

उफ्फ ये बंद 'शायर हामिदउल्ला अफसर मेरठी' का

हुस्न ने पैगाम्बरी का रूप धारा ब्रज में,
इश्क के बल रास्ता सीधा दिखाने आये हैं ।

देखो धार्मिक संकीर्णता सोनिया की रायबरेली के
अब्दुल रसीद खां ‘रसीद’ की -

श्याम तन शीश पर मोर-पंख का मुकुट
कमल से सुंदर बड़े-बड़े नेत्र, दीर्घ भुजाएं
सिंह सी पतली लचकीली कमर,
पीतम्बर धारे,
कमल से ही पद, हरित बांस की
बांसुरी अधरों पर धरे स्वयं से भूले जब-जीवन भुलाए से।

लो अब सुनो चेतावनी कविवर मिर्जा वहीद बेग ‘शाद’ की -

ईमान की आंखों में आंसू हैं नदामत के
विश्वास के द्वारे पर अपराध के पहरे हैं॥
धोखे से कोई गौरी चढ़ आये न भारत पर
अब देश में जयचंदी औलाद के पहरे हैं॥
आये न वतन मेरे, नफरत को खबर कर दो।

कौमी एकता पर क्यों लिखते हैं नजीर अकबरा वादी उर्दू शेर

है दशहरा में भी यूं तो फरहत व जीनत नजीर
पर दीवाली भी अजीब पाकीजा त्योहार॥

भगवान श्रीकृष्ण के प्रति करते रहे अर्चना
तुलसीदास के मित्र अब्दुल रहीम खानखाना-

‘जिहि रहीम मन आपुनों, कीन्हों चतुर चकोर
निसि बासर लाग्यो रहे, कृष्ण चन्द्र की ओर’ ॥

ओह , ब्रजभूमि मॆं क्यों बनी है ताज बीबी की समाधि 3

अब शरअ नहीं मेरे कुछ काम की, श्याम मेरे हैं, मैं मेरे श्याम की |
बृज में अब धूनी रमा ली जायेगी, जब लगन हरि से लगा ली जायेगी |

कबीर - वो तो थे विधवा  हिन्दु ब्राह्मणी के बेटे
क्यू मुस्लिम जुलाहे नीरू और नीमा ने गले लगाया -

भाई दुई जगदीश कहांते आये कौने मति भरमाया।
अल्लाह राम करीमा केलव हरि हजरत नाम धराया।।
गहना एक कनक ते बनता तामें भख न दूजा।
कहव कहन सुनत को दुई कर आये इक निमाज इक पूजा।।
वहि महादेव वही मुहम्मद ब्रह्मा आदम कहिये।
कोई हिंदू काई तुरक कहखे एक जमीं पर रहिये।।
वेद किताब पढ्ैं व खुतबा वे मुलना वे पांडे।
विगत विगत कै नाम धरावें एक भटिया के भांडे।।
कहै कबीर वे दूनो भूले रामे किन्हु न पाया।
वे खसिया व गाय कटावें वादे जन्म गवांया।।

अगले जन्म मॆं ब्रज मॆं जन्मेगें सय्यद इब्राहीम "रसखान" -

मानुष हों तो वही रसखान, बसौं नित गोकुल गाँव के ग्वारन।जो पसु हौं तौ कहा बसु मेरौ, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन।।पाहन हौं तौ वही गिरि कौ जुधर्यौ कर छत्र पुरंदर कारन।
जो खग हौं तो बसेरौं नित, कालिंदी-कूल कदंब की डारन।।

दीन - इलाही के दरबार मॆं मुस्तकिल मीर अर्ज 'रहीम' -

तैं रहीम मन आपुनो, कीन्‍हों चारु चकोर।
निसि बासर लागो रहै, कृष्‍णचंद्र की ओर॥

पता लगाओ उन्हे कैसे मिला ज्ञानपीठ
अली सरदार जाफरी गये उर्दू मॆं लिख -
 
गुफ़्तगू बंद न हो
बात से बात चले
सुब्ह तक शामे-मुलाकात चले
हम पे हंसती हुई ये तारों भरी रात चले ॥

हिसाब तो उनका भी अभी करना बाकी है
क्यों जो वे लड़े मेरे मादरे वतन के लिये

'मादरे वतन भारत की जय' नारा लगाया जिसने पहली बार
अज़ीमुल्लाह खां के सामने क्या सर झुकाया कभी एक बार 4

अंग्रेजों कॊ घुटने टेकने पर किया कई बार मजबूर
इतिहास के नायक थे टीपू सुल्तान शेर - ए - मैसूर


1 गांधीजी की सुप्रसिध्द शिप्या एवं विख्यात देशभक्त अब्बास तय्यबजी की सुपुत्री,  2 गुजरात के मयशाना मॆं वर्ष 1712 ई  3 अकबर की बेगम एवं गोस्वामी विट्ठलनाथ जी की सेविका
4 जिन्होंने स्वामी दयानन्द सरस्वती के साथ मिलकर देश के लिए काम किया , आगे चलकर इन्हीं मशहूर योद्धा अजीमुल्ला खां ने मादरे वतन भारत की जय का नारा दिया।

दिनांक 11.10.2016 मंगलवार
संदीप मुरारका

Monday, 10 October 2016

तकिया

ये तकिया है
इस पर कवर लगा के रखो

पलंग पर इसे सजा के रखो ।

साथी है ये बहुत पुराना
ये कई रात मेरे साथ साथ  जगा है
कई बार देर रात मुझको सुलाया है ।

साथी है ये बहुत पुराना
ये मेरी उदासीन रातों का गवाह भी है
कई बार इसने मेरे बहते आँसू पिये हैं ।

साथी है ये बहुत पुराना
कई बार चेहरा छुपाने के काम आया है
कई बार सिसकियों कॊ भी समझाया है ।

साथी है ये बहुत पुराना
और बहुत अनुभवी बहुत समझदार है
जहीर* है उनकी रातों का जो ख्वार** हैं ॥

*जहीर  - दोस्त
**ख्वार - मित्रहीन

दिनांक 09.10.2016 रविवार
संदीप मुरारका

इतिहास नहीँ कहानी ये बदले की

पलट डाले सारे पन्ने मैने
भरा पड़ा इतिहास हमारा
बदले की कहानियों से ,

कहा द्रौपदी ने अंधे का बेटा
उसने चीर डाले कपड़े उसके
बदले मॆं छिड़ गयी महभारत ।

नाक काट ली सुपर्णखा की जब
उसका भाई सीता हर ले गया
हुआ ऐतिहासिक युध्द रामायण का ।

पाटलीपुत्र मॆं हुआ अपमानित विष्णुगुप्त
खोल दी शिखा उसने क्रोध मॆं भरकर
बनकर चाणक्य महानंद का विनाश किया ।

पिता की हत्या से हुए क्रोधित
लेकर फरसा हाथ परशुराम ने
निरंकुश राजाओं का संहार किया ।

सत्ता के लिये हुई माँ की कोख शर्मसार
खुद के बेटे के हाथों मारा गया मगध सम्राट बिम्बसार
हुआ संघर्ष बड़ा , हत्यारा अजातशत्रु भी मारा गया
अपने ही पुत्र के हाथों, इतिहास दोहराया फ़िर एक बार ।

हमलावर विदेशियों का साथ दिया जब 
हुआ समाप्त मौर्य वंश अपने सेनापति के हाथों तब
ब्राह्मण राज पुष्यमित्र शुंग का राज्यभिषेक हुआ ।

रक्त बहा है इस धरती पर कई कई बार
अपनों पर चली है अपनों की तलवार ।

हर बार बदला लेने कॊ युद्ध हुआ है
हर बार इतिहास ही शर्मसार हुआ है ।

जिसने पाया जैसा लिखा
सच कोई लिख ना पाया ,

षडयंत्र और साजिशों से भरी हुई ,
राजसत्ता कॊ बचाते रहे भीष्म कई ।

आज़ फ़िर इतिहास खुद कॊ दोहरा रहा है
करते रहे जो काम वो , कर रहे ये भी वही ।

भीष्म भी हैं यहाँ ,चारण तो हैं कई कई ,
हैं चंद्रगुप्त भी यहाँ , सिर्फ चाणक्य ही नहीँ ।

दिनांक 10.10.2016 सोमवार
संदीप मुरारका


Friday, 7 October 2016

अश्वमेध यज्ञ

कहते हैं युग परिवर्तन का समय आ रहा
ज़्योतिष भारत कॊ विश्व गुरू बतला रहा !

नाप रही है जनता अपने कर्णधार के सीने कॊ
खोज रहे लोग इनमें गौतम और विवेकानंद कॊ !

पर कैसे कर पायेंगे पूर्ण विश्व विजय अभियान  ,
ना जाने कब हटेगा काश्मीर से केन्द्रित ध्यान !

जिसे देखो वही भड़काने बैठा है
चिंता नहीं किसी कॊ मीरवायज
यासीन मलिक या गिलानी की ,
बस केजरीवाल से ख़ार खाये बैठा है ।।

ना तो खेत चरा अरविन्द ने हमारा ,
ना ही हमें लाहौर मॆं चने उगाने हैं ।

तो क्यों लड़ रहे हैं बेवजह हम ,
संदेश ये सकरात्मक पहुँचाना है -

रोक लो बर्बादी अब दोनों ओर से
हे अवनीपति , तीरों कॊ तरकश मॆं रहने दो,

ज़रूरत नहीं सीमा पर अभी दीवारों की
झौपडे पहले दोनों मुल्कों मॆं बन जाने दो ॥

हे नृपति, घटा दो बजट सेना का
अब ना नये हथियार खरीद करो
अगले साल दो साल केवल केवल
खेतों और  नदियों की बात करो !

बचे समय यदि तो
बिजली पानी मॆं ध्यान धरो 
सड़क नाली के कई काम
भी करने अभी बाकी हैं ,

हो दोनों मुल्क का हर बच्चा शिक्षित
करो व्यवस्था बीमारों का इलाज की ,

कैसे मिटे बेरोज़गारी दोनों मुल्कों से
हे भूपति , ऐसा कुछ नया विचार करो ।

जंग जितने से हासिल कुछ होना नहीं
जितना है जग,  तो कुछ ऐसा काम करो

हे नरेश , करो तुम एक अश्वमेध यज्ञ
अखण्ड भारत की कल्पना कॊ साकार करो

श्रीलंका बर्मा भूटान नेपाल हिन्दुस्तान
मालदीव बंगलादेश म्यांमार पाकिस्तान

मिलकर सभी करें गठन एक सयुंक्त सेना
हो एक वीजा और एक मुद्रा मॆं लेना देना ।।

आपस मॆं ही हो ज्यादा से ज्यादा करोबार
ना जाये कोई अमेरिका खोजने रोजगार ,

हे महीपति , अरविन्द नीतीश चंद्राबाबू चौहान
रमन मनोहर जैसे सेनापति हों  जिसके पास

कौन रोक सकेगा उसके  घोड़े कॊ  ?
यथाशीघ्र पांचजन्य  शंखनाद करो ॥

हुई बातें बहुत , अब हुंकार भरो ,
विदेशों के दौरे अब समाप्त करो ॥

हे  नरेंद्र  , करो तुम एक अश्वमेध यज्ञ
अखण्ड भारत की कल्पना कॊ साकार करो !

दिनांक 7.10.2016 शुक्रवार
संदीप मुरारका