पलट डाले सारे पन्ने मैने
भरा पड़ा इतिहास हमारा
बदले की कहानियों से ,
कहा द्रौपदी ने अंधे का बेटा
उसने चीर डाले कपड़े उसके
बदले मॆं छिड़ गयी महभारत ।
नाक काट ली सुपर्णखा की जब
उसका भाई सीता हर ले गया
हुआ ऐतिहासिक युध्द रामायण का ।
पाटलीपुत्र मॆं हुआ अपमानित विष्णुगुप्त
खोल दी शिखा उसने क्रोध मॆं भरकर
बनकर चाणक्य महानंद का विनाश किया ।
पिता की हत्या से हुए क्रोधित
लेकर फरसा हाथ परशुराम ने
निरंकुश राजाओं का संहार किया ।
सत्ता के लिये हुई माँ की कोख शर्मसार
खुद के बेटे के हाथों मारा गया मगध सम्राट बिम्बसार
हुआ संघर्ष बड़ा , हत्यारा अजातशत्रु भी मारा गया
अपने ही पुत्र के हाथों, इतिहास दोहराया फ़िर एक बार ।
हमलावर विदेशियों का साथ दिया जब
हुआ समाप्त मौर्य वंश अपने सेनापति के हाथों तब
ब्राह्मण राज पुष्यमित्र शुंग का राज्यभिषेक हुआ ।
रक्त बहा है इस धरती पर कई कई बार
अपनों पर चली है अपनों की तलवार ।
हर बार बदला लेने कॊ युद्ध हुआ है
हर बार इतिहास ही शर्मसार हुआ है ।
जिसने पाया जैसा लिखा
सच कोई लिख ना पाया ,
षडयंत्र और साजिशों से भरी हुई ,
राजसत्ता कॊ बचाते रहे भीष्म कई ।
आज़ फ़िर इतिहास खुद कॊ दोहरा रहा है
करते रहे जो काम वो , कर रहे ये भी वही ।
भीष्म भी हैं यहाँ ,चारण तो हैं कई कई ,
हैं चंद्रगुप्त भी यहाँ , सिर्फ चाणक्य ही नहीँ ।
दिनांक 10.10.2016 सोमवार
संदीप मुरारका
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