Sunday, 2 October 2016

गोविंद का छल

करी थी प्रतिज्ञा तुमने
कि हथियार नहीँ उठाउँगा
और लेकर चक्र सुदर्शन का
पितामह* के पीछे दौड़ पड़े.
*पितामह -भीष्म

तीरों की शय्या पर
सुलवा दिया उनको तब
अम्बा रुपी शिखंडी की
आड़ मिल गयी जब !

बनाया था नियम तुमने
निहत्थे पर वार नहीँ करना
और खुद ही पहुँच गये
राधेय* का वध करवाने ?
*राधेय - कर्ण

जबकि छिनवा चुके थे
इन्द्र के हाथों पहले ही
उसके कवच और कुंडल !

मारा गया पुत्र तेरा
बतलाकर
शस्त्र हाथों से गिरवा दिया
सामने तेरे , द्रौपदी के भाई ने
निहत्थे गुरू द्रोण का गला काट दिया !

 बर्बरीक* के पत्ते कॊ
पांवों के नीचे दबा कर
*बर्बरीक - श्याम बाबा
लिया उससे  शीश का दान
युद्ध के मैदान से उसको
कर दिया तुमने गुसार* !
*गुसार - दूर

समर्थ कॊ दोष नहीँ गोसाई
सच ही लिखा  गोस्वामी ने

आज भी वही सब हो रहा
हत्यारे कर रहे हैं राज़ यहाँ
सत्य झोपड़ियों मॆं सिसक रहा !

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