क्या दियासलाई ख़त्म हो गई
जाओ जल्दी जाओ
और एक नई
और बड़ी
दियासलाई लेकर आओ
जिससे जला सकें
कुछ और मकान
और दिखाकर जिसे
लड़ा सकें इन्सान
जाओ जल्दी जाओ
और एक नई
और बड़ी
दियासलाई लेकर आओ
जब वे मूर्ख लड़ेंगे
तभी ना हम राज़ करेंगे
और हाँ
कमरे में किसी कॊ
आने मत देना
फादर आज आयें हैं
कुछ नई चर्चा लाये हैं
और हाँ
आज जाना तुम उस बस्ती में
चर्च की दीवार जहाँ ख़त्म होती
जाओ जल्दी जाओ
और एक नई
और बड़ी
दियासलाई लेकर आओ
मौलवी साहब से
हो चुकी बात मेरी
पण्डित जी कॊ
ख़बर तुम भिजवा देना
कमरे में पीने खाने का
समान तुम सजावा देना
हुए दिन कई
आज मेरी बारी है
अब करो ना विलम्ब तुम
काम कई निपटाने हैं
जाओ जल्दी जाओ
और एक नई
और बड़ी
दियासलाई लेकर आओ
और हाँ
रद्दी में होंगे पड़े
कुछ अखबार पुराने
वो भी ला देना
छूट ना जाय विषय कोई
तुम मुझको याद दिला देना
हो नहीं कोई गलती इसबार
करनी हैं पक्की अगली सरकार
जाओ जल्दी जाओ
और एक नई
और बड़ी
दियासलाई लेकर आओ
1995 मॆं लिखी गई कविता
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