Sunday, 2 October 2016

दियासलाई

क्या दियासलाई ख़त्म हो गई

जाओ जल्दी जाओ

और एक नई
और बड़ी

दियासलाई लेकर आओ

जिससे जला सकें
कुछ और मकान

और दिखाकर जिसे
लड़ा सकें इन्सान

जाओ जल्दी जाओ
और एक नई
और बड़ी

दियासलाई लेकर आओ

जब वे मूर्ख लड़ेंगे
तभी ना हम राज़ करेंगे

और हाँ
कमरे में किसी कॊ
आने मत देना

फादर आज आयें हैं
कुछ नई चर्चा लाये हैं

और हाँ
आज जाना तुम उस बस्ती में
चर्च की दीवार जहाँ ख़त्म होती

जाओ जल्दी जाओ
और एक नई
और बड़ी

दियासलाई लेकर आओ

मौलवी साहब से
हो चुकी बात मेरी

पण्डित जी कॊ
ख़बर तुम भिजवा देना

कमरे में पीने खाने का
समान तुम सजावा देना

हुए दिन कई
आज मेरी बारी है

अब करो ना विलम्ब तुम
काम कई निपटाने हैं

जाओ जल्दी जाओ
और एक नई
और बड़ी

दियासलाई लेकर आओ

और हाँ
रद्दी में होंगे पड़े
कुछ अखबार पुराने
वो भी ला देना

छूट ना जाय विषय कोई
तुम मुझको याद दिला देना

हो नहीं कोई गलती इसबार
करनी हैं पक्की अगली सरकार

जाओ जल्दी जाओ
और एक नई
और बड़ी

दियासलाई लेकर आओ

1995 मॆं लिखी गई कविता

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